Vrikshasana –
Just as a tree remains fixed on a trunk, in the same way, the name of this asana is Vrikshasana because of standing still with one leg raised.
वृक्षासन –
जिस तरह वृक्ष एक तने पर स्थिर रहता है उसी प्रकार एक पैर उठाकर स्थिर खडे रहने की वजह से इस आसन का नाम वृक्षासन है।
विधि: समस्थिति में खडे हो जायंे। दायें पैर को उठाकर दायें पैर की एड़ी को बाईं जाँघ के मूल स्थान पर रखें। पंजा नीचे की तरफ रहेगा (अर्थात अंगुलियों का रूख जमीन की तरफ रहेगा)। इस स्थिति में स्थिर होने के बाद दोनों हाथों को बगल से
उठाते हुये (ताड़ासन की तरह) सिर से ऊपर ले जाकर हाथ जोड़कर प्रणाम की मुद्रा में तान दें। मगर ध्यान रहे की संतुलन बनाये रखना जरूरी है। 1 मि. तक आसन में रहने के बाद विपरीत क्रम में धीरे-धीरे वापस आयें। पैर बदलकर दूसरे पैर से भी अभ्यास करें।
विषेष: आंखें खोलकर 45व्म् के कोण पर 1 (एक) बिन्दु पर ध्यान केन्द्रित करने से संतुलन बनाने में सुगमता होती हैं। षुरुआत में संतुलन बनाने के लिये दीवार का सहारा ले सकते हैं।
लाभः यह आसन टांग की मांसपेषियों को सुदृढ करता है, व्यक्ति को संतुलन एवं समभार का ज्ञान देता है एवं एकाग्रता बढाता है।
(ढाकाराम)
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Vrikshasana –
Just as a tree remains fixed on a trunk, in the same way, the name of this asana is Vrikshasana because of standing still with one leg raised.
Benefits: This asana strengthens the leg muscles, gives the person the knowledge of balance and balance and increases concentration.
(Dhakaram)
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