सचिवालय नगर योजना में मुहाना गृह निर्माण सहकारी समिति जयपुर के प्रशासक / समापक ने किया राजस्थान का सबसे बड़ा महा घोटाला 3000 सदस्य कर रहे हैं न्याय का इंतजार, प्रशासक / समापक योजना ने किसानों व भूखंड हितधारियों को 20 साल से कब्जा व जेडीए पट्टा नहीं दील पा रहा है सचिवालय नगर जन कल्याण समिति जयपुर ने की मुहाना समिति को अवसायन से मुक्त कर पुनर्जीवित करने एवं धारा 55 की जांच मुक्तानंद अग्रवाल रजिस्ट्रार से जारी करने की मांग की और रजिस्ट्रार सहकारिता विभाग, उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां जयपुर शहर, समापक मुहाना गृह निर्माण सहकारी समिति जयपुर को नोटिस / प्रतिवेदन दीया।
आज ईडी निदेशालय में परिवाद दर्ज कराया गया और मुख्य सचिव मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार को भी ज्ञापन दिया गया।
- श्रीमान जोनल डायरेक्टर,
प्रर्वतन निदेषालय (ईडी)
अमरूदों के बाग के पास,
अम्बेडकर सर्किल, जयपुर - श्रीमान महानिदेषक
भ्रस्टाचार निरोधक ब्यूरो
झालाना डूंगरी, जयपुर
विषय:- सचिवालय नगर, जयपुर योजना मुहाना गृह निर्माण सहकारी समिति के सदस्यों को 18-20 वर्षों से संघर्ष करने के उपरान्त भी कब्जा नहीं दिये जाने एवं समिति पदाधिकारियों द्वारा 1500 करोड रूपयों से अधिक की भारी राषि का फर्जीवाडा, आपराधिक विष्वास भंग एवं गबन करने वाले पदाधिकारियों के विरूद्ध 128 से अधिक दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट में कोई कार्यवाही नहीं करने पर राजस्थान सरकार के अधिकारियों द्वारा जानबूझकर अनदेखी कर मनी लॉड्रिंग के जरिये अकूत धनराषि एकत्रित करने आदि के खिलाफ अपेक्षित कार्यवाही शीघ्रातीषीघ्र कराये जाने बाबत।
- मान्यवर,
- निवेदन है कि प्रार्थी सचिवालय नगर पीडित संघर्ष समिति, जयपुर का सक्रिय सदस्य रहा है एवं तत्पष्चात पंजीकृत संस्था सविचालय नगर जन कल्याण समिति, जयपुर का अध्यक्ष है जिसने उक्त पदाधिकारी की हैसियत से तथा स्वंय पीडित के तौर पर प्रसंग पत्रों में वर्णित ज्ञापन पेष किये थे तथा इससे पूर्व भी अनेक वर्षों से सचिवालय नगर, योजना जयपुर से सम्बन्धित सदस्यों को उनकी समस्यायें/अभाव- अभियोग बाबत मुद्दे विभिन्न फोरम पर लिखित में अनेक वर्षाें से उठाता आ रहा है। अन्तिम षिकायति/अभ्यावेदन पत्र श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय, राजस्थान, जयपुर को दिनंाक 26.01.2022 को प्रेषित किया था जिसकी प्रतिलिपी श्रीमान मुख्य सचिव महोदय, डीजीपी राजस्थान, जयपुर, डायरेक्टर जनरल भ्रस्टाचार विभाग, जयपुर को भी प्रेषित की गई थी किन्तु उक्त पत्र पर सम्बन्धितों के द्वारा केाई कार्यवाही नहीं की गई। उक्त षिकायति पत्र के पश्चात ट्वीट, मेल, व्हाटसअप, समाचार जगत अखबार में प्रकाषित समाचार दिनंाक 01.09.2020 में सामग्री व अपनी वेदना आम लोगों की जानकारी हेतु साया करायी थी और सम्बन्धित अधिकारियों से अपक्षा की गई थी कि वे मुहाना समिति, सचिवालय नगर विस्तार, जयपुर की योजना के सदस्यों के साथ हुई धोखाधडी एवं अधिकारियों द्वारा भूमाफिया / बिल्डरों द्वारा अकूत धनराषि कमानें एवं मनी लॉड्रिंग के जरिये राषि का इधर-उधर दर्षा कर गलत कार्याें से प्राप्त राषि को छिपाकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया। अधिकारियों द्वारा बेषकीमती जमीन जिसकी औसत कीमती 20,000 से 25000/- रुपये वर्गगज है लेकिन उच्च अधिकारियों के दबाव में इसको महज 2500/-रुपये प्रतिवर्गगज की राशी जांच अधिकारी श्री एम.पी.यादव नेे कम राषि अर्जित की है। विगत् लगभग 25 वर्षाें से उनके निराकरण एवं षिकायतों पर कोई कारगर कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है। प्रषासन पूर्णतया मौन धारण किये हुये तथा विधानसभा सत्र 2021 में इस बाबत विषेष चर्चा किये जाने के पश्चात भी पूर्व की भांति चुप्पी साधते हुये निष्क्रिय रहा है और अपरोक्ष रूप से धोखाधडी करने वालों, भारी राषि का गबन करने वाले भूमाफियाओं और उनके सहयोगी सरकारी अधिकारियों के विरूद्ध ना तो कोई आपराधिक कार्यवाही अमल में लाई गई है और ना ही सरकारी अधिकारियों के विरूद्ध कोई अनुषासनिक कार्यवाही की गई है जिससे सरकारी तन्त्र की आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों एवं सरकारी कार्मिकों को अपरोक्ष रूप से वरदहस्त प्राप्त होता रहा है और वे लोग स्वतन्त्र एवं निर्भीक रूप से संरक्षण के चलते अभयदान प्राप्त कर विचरण कर रहे हैं एवं विलासिता का जीवन यापन कर रहे हैं जबकि प्रजातान्त्रिक देष में कानून सर्वाेंपरी है और कानून के षिकन्जे से कोई बच नहीं सकता फिर भी अक्रमणयता के चलते संविधान व कानूनों की धज्जी उडाते हुये ये लोग भ्रष्टचार में लगे रहे हैं। कृपया उक्त विषय से सम्बन्धित ज्ञापन एव षिकायती पत्रों जो विभिन्न सरकारी अधिकारियों को प्रस्तुत किये गये हैं किन्तु वे मौन धारण किये हुये हैं पर शीघ्र संज्ञान लेने हेतु प्रार्थना है।
- आपराधिक कृत्यों एवं घोटालों से सम्बन्धित तथ्य इस प्रकार हैं कि गणेश एण्ड कम्पनी के डायरेक्टर स्व. श्री मुन्नी देवी पत्नी श्री राधेश्याम शर्मा, सत्यनारायण शर्मा ने सचिवालय नगर योजना का निर्माण किया और गणेश एण्ड कम्पनी ने ही वर्ष 1992 से गणेश एण्ड कम्पनी के द्वारा सचिवालय नगर योजना का सचिवालय कर्मचारी संघ से एमओयू (इकरारनामा) किया गया। गणेश एण्ड कम्पनी ने बुनियादी विकास गृह निर्माण सहकारी समिति से हितधारी सदस्यों को पट्टे जारी करने का एमओयू (इकरारनामा) किया। मुहाना गृह निर्माण सहकारी समिति, जयपुर के निर्वाचित पदाधिकारी वर्ष 1998 तक पदासीन रहे किन्तु दिनंाक 05.05.1998 से रजिस्ट्रार सहकारी समितियां राजस्थान, जयपुर के आदेष से प्रषासक नियुक्त किया गया। समिति में दिनांक 19.01.2009 तक विभिन्न प्रषासक रहे जिसकी अधिकांष अवधि में श्री सुनील चौधरी, उप-रजिस्ट्रार सहकारिता विभाग ने कार्य किया। तत्पष्चात उक्त समिति को आदेष दिनंाक 20.01.2009 से अवसायन में लाया गया। समिति के प्रषासक एवं अवसायक के रूप में 15 अधिकारी (सूची संलग्न) समय-समय पर कार्यरत हैं और वर्तमान में श्री देषराज यादव, उप-रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, जयपुर शहर जयपुर समापक के रूप में कार्यरत है जिन्होंने अपने कर्तव्यों का कोई निर्वहन नहीं किया बल्कि अवसर प्राप्त कर विभिन्न घोटालों का अंजाम दिया अथवा आपराधिक साजिष में शामिल रहे हैं जिसके चलते मुहाना समिति की सचिवालय नगर योजना में 417 बीघा कृषि भूमि पर लगभग 4000 से अधिक सदस्य प्रभावित रहे हैं। उक्त कुल बीघा भूमि में से लगभग 101 बीघा भूमि में सचिवालय के 740 कर्मचारियों सदस्यों में से 663 सदस्यों को भूखण्ड आवंटित किये हैं एवं जेडीए द्वारा पट्टा दे दिया गया है किन्तु शेष बचे लगभग 3250 सदस्यों को कब्जा व जेडीए पट्टे जानबूझ कर नहीं दिये गये हैं जबकि उक्त सदस्यों द्वारा भूखण्ड पेटे राषि समिति पदाधिकारियों, प्रषासक व अवसायक को अनेक वर्षों पूर्व जमा करा दी है। श्री यादव द्वारा कोटपूतली में स्थित बी.एड. कॉलेज संचालित कर रखा है और उससे आय को अपनी आय नहीं बताकर स्वंय को कानून के षिकंजे से बाहर रख रखा है। श्री देषराज यादव निरीक्षक ऑडिट रहे हैं जिन्होंने अनेक गृह निर्माण सहकारी समितियांे की गलत-सलत ऑडिट कर भारी राषि अर्जित की है जिसकी अनदेखी सहकारिता विभाग निरन्तर करता चला आ रहा है। वर्तमान में श्री यादव हाल ही में निरीक्षक से पदोन्नत होकर सहायक रजिस्ट्रार पद के अधिकारी बने हैं जबकि उनका मूल पदस्थापन विषेष लेखा परीक्षक, जयपुर (ग्रामीण ) में है। इनकी जिम्मेदारी समितियों की ऑडिट कराने की रही है किन्तु मुहाना समिति की ऑडिट जानबूझकर 1987-88 के बाद नहीं कराई है और ऑडिट नहीं करा कर सदस्यों से प्राप्त राषि का निजी हित में काम में ले रहे हैं। ज्ञातव्य है कि श्री यादव को संयुक्त रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, जयपुर (शहर), जयपुर का अतिरिक्त चार्ज देकर विभाग के उच्च अधिकारियों ने इस लाभ के पद पर बनाकर संरक्षण दे रखा है। कार्यवाहक अधिकारी किसी भी सूरत में राजस्थान सहकारी संस्था अधिनियम, 2001 की धाराओं में प्रदत्त शक्तियांे का उपयोग नहीं कर सकता किन्तु श्री यादव गृह निर्माण सहकारी समितियों को अवसायन में लाकर एवं उन्हें पुर्नजीवित कर अथवा डरा-धमका कर अनुचित लाभ राषि प्राप्त करते आ रहे हैं जिसकी खबर विभाग को होनी चाहिये किन्तु पर्यवेक्षण अधिकारीगण मौन धारण किये हुये हैं। ऐसा नहीं है कि विभाग में सक्षम स्तर पर अधिकारी उपलब्ध नहीं हो और ऐसी सूरत में उन्हें दो उच्च पद स्तर का कार्य सौंपा जा रहा हो और साथ ही साथ ऑडिट भी कराने की जिम्मेदारी उन्हीं को दे रखी है ताकि दोनों तरफ से अकूत राषि एकत्रित कर अपने आला अफसरान व राजनैतिक रसूखदारों व सहकारी मंत्री को संतुष्ट कर अपना काम साधते रहें। हाल ही में इन्होंने मुहाना समिति की सचिवालय नगर विस्तार स्कीम में श्री सुनील चौधरी व भूमाफियाओं के साथ साजिष कर जमीन पर निर्माण कार्य कराया था जिसे जन कल्याण समिति के नेतृत्व में उनके सदस्यों ने मौके पर पहुंचकर निर्माण कार्य बन्द कराया और आधे-अधुरे निर्माण को ध्वस्त कराया तथा श्री यादव को विवष किया कि वे निर्माण कार्यवाही व साजिषकर्ताओं के विरूद्ध एफ.आई.आर. दर्ज करावे जिस पर उन्होनें सांगानेर दर थाना पर एफ.आई.आर संख्या 0366 दिनांक 08.05.2022 थाना सांगानेर सदर में दर्ज करायी है जिसकी प्रति संलग्न है किन्तु उक्त एफ.आई.आर. पर पुलिस अधिकारीगण मौन धारण किये हुये हैं। श्री यादव को यही नहीं वैषाली अरबन बैंक का अवसायक भी नियुक्त कर रखा है और मुहाना समिति में भी अवसायक इन्हें और भी ऐसे लाभ के पदों पर आसीन कर रखा है जिससे वह गलत कार्याें से धनराषि अर्जित कर रहे हैं और वैषाली नगर, बैंक के तत्कालीन पदाधिकारी श्री मेहता तथा फाईनेन्सर केषव बडाया आदि से साजिष कर उनके हित में तथा आम सदस्यों के विरूद्ध काम कर रहे हैं। हाल ही में हमें यह भी ज्ञात हुआ है कि अवसायनाधीन इस बैंक की भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अपने आदेष से बैंक के रेग्यूलेषन एक्ट के प्रावधानों के तहत सेविंग बैंक में खाता धारकों की जमा राषि 1000/- से अधिक की निकासी राषि पर रोक लगाई है किन्तु श्री यादव व अन्य ने रिजर्व बैंक व विभाग के आदेषांे की धज्जी उडाते हुये श्री कमल मेहता के खाते में एक ही एन्ट्री से लगभग 1.25 करोड रूपये की निकासी दी है और इस कुचक्र की भनक तक किसी को नहीं लगने दी है। कमल मेहता वही व्यक्ति है जिसके विरूद्ध बैंक में भारी वित्तिय अनियमितता के मामले लम्बित है एवं मेहता ने रजिस्ट्रार कार्यालय में एक अपील प्रस्तुत कर रखी है जिसके अण्डरटेकिंग दी है कि उनके विरूद्ध करोडों रूपयों की देनदारी के विरूद्ध कुछ हिस्सा जमा करा देगें तो ऐसी सूरत में रजिस्ट्रार ने भी उन्हें अनुमति दी है और इसी अण्डरटेंकिंग को पूरा करने के लिये श्री यादव व मेहता ने 125 लाख रूपयों की राषि उन्हें गलत रूप से लौटाई है। वैषाली नगर बैंक की जांच अनेक वर्षों से लम्बित है अवसायन की कार्यवाही भी रजिस्ट्रार जानबूझकर पूर्ण नहीं कर रहे है और अपरोक्ष रूप से कमल मेहता व उनके सहयोगियों को आर्थिक व अन्य प्रकार की सुविधाये उपलब्ध करा रहे है जिसकी एवजी में जाहिर होता है कि अधिकारीगण श्री मेहता से अनुचित लाभ प्राप्त कर रहे है। श्री यादव एक अधिकारी को ही 5-6 महत्तपूर्ण पद इसलिये सौंपे रहते है कि वे दोनों हाथों से अपनी जेबें भर रहे है और अनुचित तरीके से कमाई गई राषि का मनीलॉन्ड्रिंग कर इधर-उधर इन्वेस्टमेन्ट कर रहे है। इनके विरूद्ध कोई भी कार्यवाही करने और यहां तक की स्थानान्तरण करने की भी कोई हिम्मत नहीं कर पा रहा है। श्री यादव की आय के ज्ञात स्त्रोतांे से जो इनकम है उससे कहीं अधिक खर्चा, ऐषो आराम जीवन यापन व मौज-मस्ती कर रहे हैं। इनकी आय की पूरी जानकारी लेकर इनके द्वारा बी.एड. कॉलेज से आय आदि का भी विवरण प्राप्त कर इनकम टैक्स में उक्त आय को छिपाकर आई.टी.आर. भरना सामने आ जायेगा। विषेष लेखा परीक्षक रहते हुये एवं मुहाना समिति के अवसायक रहते हुये भी जानबूझकर इस समिति की ऑडिट वर्ष 1987-88 के पश्चात सम्पन्न नहीं करायी है जबकि समिति के प्रषासक एवं अवसायक के पास उक्त समिति का रिकार्ड मौजूद है और समिति के समापक होने के नाते उनका निजी दायित्व है कि वे इस समिति का तातारीख ऑडिट करावें।
- एक श्री भौंमाराम जो हाल में अतिरिक्त रजिस्ट्रार के सहकारी अधिकारी है के भी विरूद्ध पूर्व में अनेक करोडों रूपयों के गबन करने व कराने के मामले विभागीय उच्च अधिकारियों यथा रजिस्ट्रार, शासन सचिव व सहकारिता मंत्री महोदय तक के संज्ञान में काफी पहले से है किन्तु उसके विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं हो रही है । हमें ज्ञात हुआ है कि श्री भौंमाराम के विरूद्ध एक एफ.आई.आर. करोडों रूपयों के गबन करने की अलवर में सैन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में एम.डी. थे ने अपने रिष्तेदारेां आदि से सांठ-गांठ कर और स्थानीय राजनेताओं के प्रष्रय व उनसे साजिष कर ग्राम सेवा सहकारी समितियों मंे करोडों रू. के गबन कराये जाने पर आज तक भी कोई कार्यवाही नहीं की। श्री भौंमाराम मुहाना गृह निर्माण सहकारी समिती में काफी समय तक अवसायक रहे हैं, उन्होंने भी भूमाफियों से सांठ-गांठ कर समिति में कानून विरूद्ध अपने रिष्तेदारों को सदस्य बनाकर अनियमित रूप से बनाकर लाखों रू. की हेरा-फेरी की है। उक्त षिकायतों के आधार पर इनका तबादला महत्त्वपूर्ण पद जोधपुर में किया गया था और वहंा भी इन्होंने हेरा-फेरी कर लाखों रूपयों की कमाई की है जिसकी षिकायत के चलते इन्हंे हाल ही ए.पी.ओ. कर मुख्यावास रजिस्ट्रार कार्यालय रखा गया है।
- सचिवालय नगर, योजना के सदस्यों का विवाद का आरम्भ एक सूनियोजित एवं साजिष के तहत सहकारिता विभाग के अधिकारियों द्वारा वर्ष 2002-2003 में ’’सहकार नगर आवासन समिति’’ के नाम से एक संस्था का गठन बताकर विभाग के कर्मचारियों/अधिकारी एवं उनके रिष्तेदारों से लगभग 402 व्यक्तियांे से उक्त छदम नाम से संस्था के पदाधिकारियों ने 5,10,57,000/-रूपये प्राप्त किये और भूखण्ड हेतु इच्छुक सहकारिता कर्मचारियों को यह आष्वस्त कराया गया कि उक्त संस्था गृह निर्माण सहकारी समिति की तरह भूखण्ड आंवटित करेगी और जेडीए से पट्टा जारी करायेगी। ज्ञातव्य है कि उक्त आवासन समिति के 9 सदस्सीय कार्यकारिण सदस्यों में मुख्यतः श्री आर. के. मीणा तत्कालीन अतिरिक्त रजिस्ट्रार, श्री सुनील कुमार चौधरी उप-रजिस्ट्रार, श्री आर. के. सक्सेना तत्कालीन उप-रजिस्ट्रार, एवं श्री भगवान नरियानी कोषाध्यक्ष, सहकारी समितियां, राजस्थान जयपुर मुख्यतः क्रियाषील रहे और मंत्री की हैसियत से श्री सक्सेना और श्री नरियानी ने कार्मिकों से राषि प्राप्त की और इस तथाकथित समिति की ओर से अध्यक्ष श्री आर. के मीणा ने अपने पत्र दिनंाक 7.09.2004 व 21.06.2005 द्वारा यह अवगत कराते हुये कि सहकार नगर आवासीय योजना के निमित्त भूमि की 90 बी की कार्यवाही पूर्ण हो चुकी है तथा प्लॉट भूखण्ड पेटे राषि जमा कराने पर आवंटन पत्र की तरह अधिकार पत्र जारी किये जिसका कोई अधिकार नहीं था। ज्ञातव्य यह भी है कि उक्त समिति ने प्राप्त कुल राषि को जरिये समिति संकल्प से श्री सुनील कुमार चौधरी, उपाध्यक्ष को समस्त वित्तिय अधिकार प्रदान करते हुये उक्त प्राप्त 5 करोड रूपये की राषि को अपेक्स बैंक से इन्ट्रीगल को-ऑपरेटिव बैंक, सोडाला शाखा, अजमेर रोड, जयपुर में सुनील चौधरी एवं राधेष्याम शर्मा द्वारा संयुक्त खाता संख्या 51468 खोलकर 5.02 करोड रू. राषि स्थानान्तरित करायी जिसका सुनील चौधरी व राधेष्याम शर्मा आदि ने मिलकर गबन/हडप कर लिये और सहकारिता विभाग के कर्मचारियों को दर-दर की ठोकर खाने के लिये मजबूर कर दिया। उक्त कार्मिक सदस्यों को कोई भूखण्ड प्राप्त नहीं हुआ है और ना ही उसका कोई नियमन हुआ है जबकि जेडीए की बीपीसी की बैठक संख्या 144 दिनंाक 07.01.2010 में उक्त योजना का अनुमोदन किया गया एवं नक्षा अपू्रव्ड कर दिया गया। जेडीए की उक्त कार्यवाही की स्वीकृति राज्य सरकार द्वारा 30.05.10 से कर दी गई किन्तु ना तो अप्रूव्ड योजना व नक्षा सार्वजनिक किया गया है और ना ही कैम्प आयोजित किये गये हैं। जेडीए तथा सहकारिता विभाग एकाधिकार एवं अवांछित कार्य करते हुये मामले को लम्बित रख रहे हैं जबकि रजिस्ट्रार द्वारा दो मर्तबा राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2001 की धारा 55 के तहत जांच सम्पादित करा ली है किन्तु धारा 55 (5)(6) के तहत जांच परिणाम व निर्देष रजिस्ट्रार स्वंय जारी नहीं कर रहे हैं और ना ही दोषी पाये गये अधिकारियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही आदिनंाक तक अमल में लाई जा रही है। स्मरणीय है कि अन्तिम जांचकर्ता श्री एम. पी. यादव अतिरिक्त रजिस्ट्रार सहकारी समितियां राजस्थान, जयपुर जो वर्तमान में राजस्थान राज्य सहकारी अधिकरण में बतौर सदस्य अधिकरण पदस्थापित हैं ने जांच सम्पन्न कर रजिस्ट्रार महोदय को अपनी रिपोर्ट सौंप देने के पश्चात अपने दायित्वों से बाहर जाकर अनियमित रूप से अभियुक्तों को अपने नोटिस क्रमांक 986 दिनांक 04.10.2021 (प्रति संलग्न) से जांच रिपोर्ट में पायी गई त्रुटियों के सम्बन्ध में अपनी फाईन्डिग्स को अवगत कराया गया है जबकि रजिस्ट्रार को रिपोर्ट सौंपने के पश्चात जांच अधिकारी का कोई लेना-देना नहीं रहता और ना ही जांच अधिकारी के रूप में अधिकारी कायम रहता है। इस प्रकार के नोटिस का अपरोक्ष एवं अन्दरूनी मनतव्य दोषियों को अवगत कराना एवं उनके लोभ-लालच प्राप्त करना मात्र ही माना जावेगा। यह भी विचारणीय है कि रजिस्ट्रार द्वारा धारा 55 के तहत प्रथम रिपोर्ट 2013 में प्राप्त होने के बाद कोई कार्यवाही नहीं की अलबत्ता आदेष दिंनाक 08.11.19 से जांच रिपोर्ट को अमान्य मानते हुये दूसरी व्यक्ति श्री यादव को जांच अधिकारी बनाया गया जिसने दिनांक 15.02.2021 को अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है किन्तु उस पर जहां तक जानकारी है कोइ जांच परिणाम व निर्देष रजिस्ट्रार द्वारा जारी नहीं किये गये हैं जो सरासर गलत है। उपरोक्त के अतिरिक्त यह भी विचारणीय है कि अधिनियम की धारा 65 के तहत किसी भी सहकारी समिति को अधिकतम 5 वर्ष तक अवसायनाधीन रखा जा सकता है किन्तु उक्त की घोर अवहेलना करते हुये उक्त मुहाना गृह निर्माण सहकारी समिति को 12 वर्ष से अधिक अवधी के लिये अवसायनाधीन रखा जाने का मनतव्य केवल मात्र यही ज्ञात होता है कि येन-केन-प्रकारेण सहकार आवासन समिति के पदाधिकारियों एवं मुहाना गृह निर्माण सहकारी समिति के प्रषासक समापक एवं सहयोगी पदाधिकारियों तथा श्रीमत सालासर बिल्डकॉन एवं श्रीमत महावीर बिल्डकॉन कम्पनीयों के पदाधिकारियों द्वारा की गई भ्रस्टाचार एवं अन्य अनियमितताओं को उजागर नहीं करने मात्र का ही है। समिति की इस सचिवालय नगर योजना में बडे-बडे अधिकारियों एवं नेताओं के भूखण्ड भी हैं और सहकारिता विभाग द्वारा जानबूझकर अनियमितताओं को बढावा दिया है तथा येन-केन-प्रकारेण समिति की लगभग 300 बीघा भूमि को हथियाने में पूरा सहयोग दिया जा रहा है। उपरोक्त विवरणानुसार विभाग के अधिकारियों की भूमिका अनेक प्रष्नचिन्ह लिये हुये है और भारी राषि की हेरा-फेरी व घोटाले व गबन में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अधिकारियों की भूमिका रही है। ऐसी घोर अनियमितताओं में वर्ष 2003 से आज दिनांक तक पदस्थापित रहे रजिस्ट्रार, मुख्यालय के फंक्षनल अधिकारी, हाउसिंग अनुभाग, उप-रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, जयपुर शहर जयपुर, समिति के प्रषासक / अवसायक पूर्ण रूप से उत्तादायी ठहरते हैं जिनहोनें भूमाफियाओं श्रीमत सालासर बिल्डकॉन व श्रीमत महावीर बिल्डकॉन कम्पनीयों से पदाधिकारी तथा मुहाना गृह निर्माण सहकारी समिति में दखलकर्ता सामूूहिक रूप से साजिषन भागीदार रहे हैं। ज्ञातव्य है कि अवसायनाधीन समिति में घोर वित्तिय अनियमितताओं एवं आपराधिक कृत्यों बाबत वर्ष 2012 में सहकारी अधिनियम की धारा 55 के तहत जांच कराई गई थी और जांच अधिकारी श्री मुकुन्द सिंह द्वारा जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर दी किन्तु वर्तमान में पदस्थापित रजिस्ट्रार श्री मुक्तानन्द अग्रवाल के पूर्व पदासीन रजिस्ट्रार द्वारा जांच रिपोर्ट को बिना किसी कारण अमान्य करते हुये उन्हें जांच के आदेष वर्ष 2013 में ही दे दिये थे और जांच अधिकतम 3 माह में की जानी थी किन्तु जांच कार्य को जानबूझकर निलम्बित कराया गया और वर्ष 2021 में जांच रिपोर्ट प्राप्त हुयी जिसी भी वर्तमान रजिस्ट्रार श्री अग्रवाल हाथ पर हाथ रखे हुये जांच परिणाम जारी नहीं कर रहे है। उक्त सभी कारगुजारियों से भारी राषि की हेरा-फेरी व हडपने का मामला प्रथम दृष्टया ही बनना जाहिर होता है। ज्ञात रहे कि इस समिति की सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 55 के तहत जांच के आदेष 2012 में दिये थे और जहां तक ज्ञात है रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर दी थी किन्तु वर्ष 2013 में अकारण ही उस रिपोर्ट को नहीं मानते हुये तत्कालीन रजिस्ट्रार श्री नीरज के पवन ने पुनः जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट के परिणाम अभी तक जानबुझकर जारी नहीं किये गये हैं और जांच को दबाये रखकर समिति की बेषकीमती जमीन की हेरा-फेरी कर निजी हित सिद्धी के लिये कारगुजारी शामिलाती रूप से की जा रही है।
- यह कि मुहाना गृह निर्माण सहकारी समिति की सचिवालय नगर योजना का अनुमोदन 1998-1999 में हो चुका था तथा सहकार आवासन समिति के माध्यम से 2003 से लेकर 2006 तक जुडे समिति के सदस्यों को शामिल करते हुये वर्ष 2010 में जेडीए ने योजना को अनुमोदित किया और 07.01.2010 के जरिये मानचित्र आदि पारित किये तथा राज्य सरकार से 30.05.10 को विषेष स्वीकृति प्राप्त कर ली लेकिन जेडीए के अधिकारियों द्वारा अनुमोदित योजना व नक्षे जानबूझकर सार्वजनिक नहीं किये और आज दिनांक तक रिलीज नहीं किये। उक्त कार्यवाही स्वेच्छापूर्वक एवं मनमानी है तथा गलत इरादों और अनुचित लाभ प्राप्त करने की बदनियती के अलावा और कुछ नहीं है। समिति की इस योजना के नियमन व पट्टे जारी करने के लिये समय-समय पर राज्य सरकार के उच्चाधिकारियों को लिखा जाता रहा बैठके हुयी और मुख्यमंत्री महोदय के आदेष से मुख्य सचिव के निर्देष से एक उच्च स्तरीय कमेटी का वर्ष 2002 में गठन किया गया किन्तु समिति के सदस्यों की समस्याओं का निराकरण किया जाना तो दूर मामला ज्यों का त्यों रखा गया। राजस्थान विधानसभा में भी प्रष्न के माध्यम से यह मामला गत विधानसभा सत्र 2021 में उठाया गया जिसमें भी अधिकारियों ने यूडीएच मंत्री महोदय को गलत जानकारी दी और यूडीए मंत्री माननीय धारीवाल जी ने विधानसभा के समक्ष अधिकारियों के कहे अनुसार ही जवाब प्रेषित किया और प्रषासन शहरों के संग अभियान में पट्टा दिलाये जाने का कोई आष्वासन नहीं दिया अलबत्ता जेडीए अधिकारियों द्वारा की गई अनियमितताआंे पर पर्दा डाला रखा। उक्त अनियमित कार्यवाही के लिये वर्ष 2010 से आज दिनांक तक पदस्थापित रहे उपायुक्त जोन-14 के अधिकारीगण तथा टाउन प्लानर जेडीए, विषेषतः श्रीमती लवंग शर्मा तत्कालीन टाउन प्लानर एवं सदस्य सचिव बिल्डिंग प्लान कमेटी जिम्मेदार ठहरते हैं जिनके विरूद्ध कार्यवाही की जानी वांछनीय है।
- यह कि मुहाना समिति में प्रषासक/अवसायक वर्ष 2009 से आदिनांक तक पदस्थापित रहे हैं जिन्होंने भी कोई अपेक्षित कार्यवाही नहीं की और तथाकथित सहकार आवासन समिति के पदाधिकारीगण जिन्होंने बाद में संस्था रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के तहत विकास समिति का पंजीयन कराया के पदाधिकारीगण ने भूमाफियाओं व उपरोक्त वर्णित दोनों कम्पनीयों के डायरेक्टर से मिलकर भारी गबन किये हैं और सदस्यों से भूखण्ड पेटे पूरी रकम लेने के बाद भी कोई विधिवत जेडीए पट्टा जारी नहीं करवाया है। प्राप्त राषि का गबन व धोखाधडी करने के लिये समिति सदस्यों ने 128 एफ.आई.आर विभिन्न थानों में दर्ज करायी हैं जिनकी जांच पहले जेडीए थाना को सौंपी गई फिर एसओजी को और वर्तमान में पुलिस कमीषनरेट ( साउथ ) डीसीपी के अधीन विभिन्न 19 थानों में जांच अनेक वर्षाें से लम्बित है। लगभग 44 एफ.आई.आर. में ही मुकदमा एफ.आर. व चालान पेष किया है वह भी मुख्यतः श्री सुनील चौधरी उपाध्यक्ष विकास समिति एवं बहैसियत प्रषासक / अवसायक मुहाना गृह निर्माण सहकारी समिति को ही गिरफ्तार कर चालान पेष किया है और अन्य सहयोगी श्री राधेष्याम शर्मा, अलका गुप्ता, रामप्रकाष गुप्ता, सुरेष सहारण व अन्य सहयोगीयों के विरूद्ध सीआरपीसी की धारा 173(8) के तहत जांच लम्बित रखी गई है जबकि इस धोखाधडी घोटाले में जो मुल्जिम बनाये जा सकते हैं उनमें उपरोक्त विवरणानुसार सहकार आवासन समिति के पदाधिकारीगण (7) मुख्यतः आर के मीणा, आर के सक्सेना, लखेष्वर चौहान, भगवान निरयानी, सुरेष शर्मा आदि तथा विकास समिति के पदाधिकारीगण जो सहकार आवासन समिति के कॉमन सदस्य हैं उनके अलावा षिषर रस्तोगी, बनवारी लाल शर्मा व अनिल कुमार शर्मा भी सहभागी बनते हैं। विकास समिति के प्रबन्ध मण्डल ने जरिये संकल्प श्री सुनील चौधरी उपाध्यक्ष समिति को अन्य श्री राधेष्याम शर्मा कम्पनी डायरेक्टर के साथ संयुक्त खाता खोलने के लिये अधिकृत किया था एवं इस समिति के खाते से उपरोक्त विवरणानुसार 8 करोड से अधिक की राषि इस संयुक्त खाते में स्थानान्तरित की और उसे खुर्द-बुर्द किया है जिसके लिये केवल सुनील चौधरी अकेले ही क्यों कर और कैसे उत्तरदायी माने गये हैं जबकि सामूहिक उत्तरदायित्व के तहत विकास समिति के प्रबन्ध कमेटी के सभी सदस्यों की भागीदारी बखूबी रही है। पुलिस अनुसंधान में इस तथ्य को शायद जानबूझकर नजरअंदाज किया गया है या सहकारी कानून की जानकारी नहीं होन के फलस्वरूप अन्य को मुलिज्म नहीं बनाया है यह भी जांच का विषय है। अतः चालान किये गये केसों में सहअभियुक्त के तौर पर उपरोक्त का शामिल किया जाना लाजमी हो गया है जिसकी ओर श्रीमान सम्बन्धित पुलिस अधिकारी को उचित निर्देष प्रदान करें। 128 एफ.आई.आर में से 94 ही मुकदमें जांच में लम्बित हैं और अधिकांष में मुल्जिमों ने परिवादियांे को डरा-धमका कर और पुलिस के संरक्षण में राजीनामा करा फाईनल रिपोर्ट (नेगेटिव) लगा कर केस समाप्त करा दिये हैं जिन्हें पुनः अनुसंधान कर धोखाधडी व गबन आदि के लिये नये सिरे से केस की जांच करा चालान करावें। उपरोक्त के अनुसार यह सहज ही आभास होता है कि पुलिस थाने मुकदमों में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं – जानबुझ कर लम्बित रखकर समय पास कर भूमाफियाओं को अनावष्यक संरक्षण प्रदान किया जा रहा है जबकि देष के कानून के अनुसार धोखाधडी व गबन आदि के मामले राज्य सरकार के विरूद्ध माने जाते हैं ना कि परिवादियांे के विरूद्ध। वर्तमान में समिति की जो शेष भूमि है उसकी कीमत 2000 करोड रूपयों से भी अधिक है जिसमें सभी लोग गंगा में हाथ धोने लगे हैं और पीडितों की समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। ज्ञातव्य है कि श्री एम. पी. यादव जांच अधिकारी ने अपनी जांच प्रतिवेदन में भूमाफियाओं एवं गैर-जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता, भ्र्रस्टाचार निरोधक ब्यूरो / एसओजी/ सीबीआई के माध्यम से जांच कराने की अभिषंषा की है जिसे भी रजिस्ट्रार सहकारी समिति ने जांच पर कोई कार्यवाही लम्बे समय से नहीं की है। उपरोक्त जांच प्रतिवेदन के आधार पर यह आवष्यक हो गया है कि राज्य सरकार स्वंय के स्तर से पहल कर सम्बन्धितों के विरूद्ध धोखाधडी, जालसाजी, हेरा-फेरी, गबन आदि के लिये सरकारी मुकदमें दर्ज करावें। ज्ञातव्य है कि माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा स्वं प्रेरणा से (सोमोटो) कार्यवाही कर गृह निर्माण सहकारी समितियों के पदाधिकारियों तथा उनके साथ संलिप्त अधिकारियों आदि के विरूद्ध वर्ष 2017 में प्रसंज्ञान लिया था और घोर अनियमिततायंे जाहिर हुई हैं। उक्त याचिका संख्या 7688/2019 माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय में लम्बित चल रही है किन्तु यूडीएच व सहकारिता विभाग के अधिकारीगण अपनी स्वार्थ पूर्ति व हितसिद्धी में संलग्न हैै। श्री देषराज यादव वर्तमान में पूर्णतया साजिष व रकम की हेरा-फेरी में एकसाज व एकराय होकर भूमाफियाओं से हाथ मिलाये हुये हैं तथा जेडीए में प्रस्तुत सदस्य सूची के अतिरिक्त अपने चहेतांे या अन्य को भारी रकम लेकर खाली रिजर्व भूखण्डों पर सदस्यता दे कर पट्टे जारी कर कब्जे दिये जा रहे हैं और जो वास्तविक सदस्य हैं उनको यह कहकर वापस कर दिया जा रहा है कि तुम्हारे नाम जो सदस्यता के कागजात हैं वे सुनील चौधरी ने बनाये हैं जो अभी जेल में हैं उनसे ही आप सम्पर्क करो। गत 2 अक्टूबर, 2022 से 1600 से 1700 वाली सिरिज के 100 सदस्यों को भूखण्डों का कब्जा देने की कार्यवाही में लगे रहे हैं लेकिन उपरोक्त सचिवालय नगर योजना की ना तो ऑडिट कराई गई और ना ही फाईनल सूची जारी की गई। उपरोक्त कार्यवाही में देषराज यादव व उनके सहयोगी श्री आलोक शर्मा, सहायक रजिस्ट्रार सहकारिता विभाग जो पूर्व में काफी अर्से तक जेडीए में भी पदस्थापित रहे हैं भूमाफियाओं से मिलकर और मौके पर जाकर लोगों को लालच देकर भारी रकम वसूल कर रहे हैं।
- उपरोक्त कार्यवाही से पूर्व समापक महोदय को आम सभा बुलाकर वास्तविकता कार्यवाही से सभी योजना के किसानों और हितधारी सदस्यों को फाईनल कार्यवाही से अवगत करवाना था लेकिन आम सभा नहीं बुलाई गई तो सचिवालय नगर जनकल्याण समिति, जयपुर ने दिनांक 29.08.2022 को समिति के अधिकांश सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि समिति की विशेष आम सभा दिनांक 11.09.2022 को प्रातः 11 बजे सचिवालय योजना स्थल पर रखी जाये जिसमें ”एजेण्डा-1 समिति को अवसायन से हटाया जाकर पुर्नजीवित कर सदस्यों की प्रबन्ध कमेटी का निर्वाचन करना।“ रखा गया। तत्पश्चात् समापक महोदय को विशेष आमसभा का नोटिस/ज्ञापन क्रमांक 183/2022 दिनांक 06.09.2022 को कार्यालय उपरजिस्ट्रार/समापक मु.गृ.नि.सह.स./सहकारी समितियाँ जयपुर शहर बनीपार्क को दिया गया। समापक महोदय देशराज यादव द्वारा दिनांक 10 सितम्बर, 2022 को योजना के सभी हितधारियों व किसानों को वाट्सअप के माध्यम से मैसेज किया (जिसकी कॉपी संलग्न)। इसके पश्चात् समापक महोदय, आम सभा में उपस्थित नहीं हुए। जो समापक महोदय की लापरवाही एवं भ्रष्टाचार में लिप्त होना दर्शाती है।
- अतः करबद्ध प्रार्थना है कि समस्त प्रकरण की गहनता से जांच करवाई जाकर दोषियों के खिलाफ उचित दण्ड की कार्यवाही करवायी जावंे एवं व्यक्तिगत जांच विषेषकर गृहमंत्री के नाते मुकदमें दर्ज कराने, लम्बित एफ.आई.आर में त्वरित निष्पक्ष जांच कराने के आदेष डीजीपी महोदय को फरमाये जावें सचिवालय नगर, योजना के समस्त सदस्यों को उनका हक दिलाने के लिये नियमन षिविर व पट्टा षिविरों का आयोजन करने के लिये जेडीए व सरकारी विभागों का निर्देष दिये जावें जिससे की सभी सदस्यों को कब्जा व जेडीए पट्टे जारी हो सकें तथा जो एफ.आई.आर लम्बित रखी गई हैं उनमें तुरन्त अनुसंधान करा कोर्ट में चालान पेष कराने के निर्देष डीजीपी महोदय को दिये जावें। मुहाना समिति से सम्बन्धित रिकार्ड पूर्व में जेडीए से गायब करा दिया गया था जो बडी मुष्किल से रेस्टोर हुआ और मुझे अब शंका है कि मुहाना समिति का रिकार्ड खुर्द-बुर्द अथवा नष्ट किया जा सकता है। वर्ष 2010 में भी ऐसा प्रयास किया गया था अतः जेडीए तथा मुहाना समिति का रिकार्ड सुरक्षित रखे जाने हेतु सम्बन्धितों को पाबन्द कर सार्वजनिक करवाया जावे। मैं समस्या के निराकरण के लिये लगभग 12 वर्ष से निरन्तर श्रीमान व अन्य अधिकारियों को निवेदन करता आ रहा हूं और मैं कार्यवाही नहीं होने से स्वंय को बेबस व थका हुआ महसूस कर रहा हूं अतः आप से हाथ जोडकर विनती है कि 15-20 दिवस में कार्यवाही सुनिष्चित कराने की व्यवस्था करावें अन्यथा स्थिति में मजबूरन मुझे समस्या के निरारकण व अपने हक के लिये न्यायालय की शरण में जाने को मजबूर होना पडेगा। हमारी ओर से पूर्व में सभी उच्च अधिकारियों को निरन्तर पत्र व्यवहार अपनी समस्याओं व साजिष का खुलासा करते हुये दिये जाते रहे हैं किन्तु उन पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
- संलग्न उपरोक्तानुसार