ऐडवोकेट अनिल त्रिपाठी पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के सवाल जवाब के कुछ अंश स्वामी यों हाजिर हो से।

पार्ट – 2 ऐडवोकेट त्रिपाठी, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के सवाल जवाब के कुछ अंश स्वामी यों हाजिर हो से।

पार्ट – 2
स्वामी योगेषवरानन्द एवं एडवोकेट त्रिपाठी का वार्तलाप:-
5. भगवा आतंकवाद के मामले मे आपको मास्टर माइण्ड बताया जाता है?

एजेन्सियों का कार्य होता है कि जब वे कोई चार्जषीट बनाते हैं तो किसी ना किसी को मास्टर माइण्ड बनाना जरुरी होता है। अब उनको बहुत सॉफ्ट टारगेट दिख गया कि ये विदेष से आये हुये हैं और वलसाड में इनका आश्रम है। मैं ये मानता हूूँ कि मेरे आश्रम पर हिन्दुस्तान के बडे से बडे सन्त आते हैं। अभी भी आते हैं और पहले भी आते थे। संघ के प्रति मेरा एक समर्पण रहा हैं तो उनके भी कुछ प्रचारक और अधिकारी आते हैं तो डर से कभी मैं कभी भागा नहीं हूँ। जब वो केस बना रहे हैं तो उन्हें कोई ना कोई मास्टर माइण्ड तो चाहिये होता है। इस बात को मुम्बई की प्रतिष्ठित राष्ट्रीय अखबारों ने बडी प्रमुखता से छापा। आप समझ सकते हैं कि मेरा जीवन उसके बाद कितना मुष्किल हो गया। बडे बडे मीडिया घरानों का मेरे घर के बाहर जमावडा रहा कि यह उसी मास्टर माइण्ड का घर है। पर यह बात एक प्रतिषत भी कोर्ट में साबित नहीं हो सकी और खारिज हो गई।

6. आप आर एस एस से भी जुडे हुये है?.
यह बात कहना सही नहीं है परन्तु अगर चैतन्य युक्त है और बुद्धिसम्मत बात करते हैं तो आर एस एस का देष निर्माण भूला नहीं सकते हैं । इतने बडे पैमाने पर कार्य करने वाली किसी और राष्ट्रीय संस्था का आप नाम बता सकते हैं ? इस पैमाने पर कार्य करने वाली संस्था के साथ भी मैं यदि ना खडा रहूँ तो आप क्या समझते हैं कि मैं पाकिस्तान के साथ खडा रहूँ। हाँ , मैंने आर एस एस के साथ कुछ कार्य किये हैं।
7. क्या भगवा आतंकवाद में कोई हिन्दु भी मरा है ?
ये आपने बडा विचि़त्र सवाल पूछा है। इस कांड से पहले काषी, अक्षरधाम, जम्मू, जयपुर में सिलसिलेवार बम विस्फोट होते हैं। हमारे मंदिरों को उडाया जाता है। मुम्बई पर आक्रमण होता है। मैं यह नहीं कहता कि ये केस नहीं हुआ पर इसके आरोपियों को पुलिस नहीं पकड पाई। जिन्होने भी ये किया, उनसे मेरी सहमति या असहमति की बात अलग है पर यह बात निष्चित है कि इस कांड के बाद मंदिरों में विस्फोट होने बन्द हो गये हैं। वे क्या चाहते थे कि हिन्दु डर से मंदिर जाना छोड दे और दुबक के घर में बैठा रहे। जिसने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया, सही दिया। पर यह ठीक नहीं हैं। मैं समाज में हिंसा का समर्थन नहीं करता हूँ। पर आतताईयों को मारने के लिये परषुराम बनना जरुरी है। आपकी गली में कोई पागल सांड घुसकर आ जाये तो क्या आप उसकी आरती करते हो ? कोई आपकी बहन बेटी को उठा के ले जाये तो क्या आप हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहते हो। बाबा साहब अम्बेडकर ने हमें सेल्फ डिफेन्स करने से कभी नहीं रोका है। जिन्होंने भी किया, मजबूरी से किया।

8. तो क्या सरकार का काम आप करेंगे ?
जब भारत सरकार की 8 एजेन्सियों ने मुझे पूछताछ की तो कईयों ने कहा कि मैं आपको सलाम करता हूँ कि जो काम हमको करना चाहिये था वो देष की जनता को करना पडा। 5000 सालों से हमने सभी धर्मों को यहाँ पाला पोसा है। भगवा आंतकवाद षब्द तथाकथित केन्द्रीय मंत्री के मुँह में डाला गया था जो उसने बिना सोचे समझे बोल दिया। हिन्दु के मन में हिन्दुस्तान में और हमारी धारणा में आतंकवाद के लिये कोई जगह नहीं है। हिन्दु को अगर छेडोगे तो वो छोडेगा नहीं।

9. यह कहा जाता हैं कि आपके एजेन्सियों से बडे अच्छे सम्बन्ध हैं ?
एक थ्योरी डवलप करी गयी कि ये कांड अगर किसी और ने किये और ये विदेष से आते हैं तो इनके सम्बन्ध हो सकते हैं। आई बी, रॉ एवं अन्य एजेन्सियों से मेरे सम्बन्ध बताये गये। आप यह ध्यान रखिये कि जो ज्ञानवान पुरुष होता है, उसका सभी आदर करते हैं। ऑफ द रिकार्ड वो मेरे सामने हाथ जोडकर खडे होते थे। मानना पडेगा कि आपके साथ धर्म है और धर्म कायरों का नहीं होता।

 

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