PM MODI Gujrat Visit:

PM MODI Gujrat visit : मंदिर तोड़ सुल्तान महमूद बेगड़ा बनवाई थी दरगाह, पावागढ़ के महाकाली मंदिर में 500 साल बाद लहराएगी पताका

PM MODI Gujrat visit


गुजरात के पंचमहाल जिले में स्थित प्रसिद्ध महाकाली मंदिर के शिखर पर 500 साल के बाद पताका फहराई जाएगी। मंदिर के ऊपर बनी दरगाह को उसकी देखरेख करने वालों की सहमति से स्थानांतरित किया गया है।
गुजरात में पीएम मोदी: मंदिर तोड़ सुल्तान महमूद बेगड़ा बनवाई थी दरगाह, पावागढ़ के महाकाली मंदिर में 500 साल बाद लहराएगी पताका PM MODI Gujrat visit

गुजरात के पंचमहाल जिले में स्थित प्रसिद्ध महाकाली मंदिर के शिखर पर 500 साल के बाद पताका फहराई जाएगी। मंदिर के ऊपर बनी दरगाह को उसकी देखरेख करने वालों की सहमति से स्थानांतरित किए जाने के बाद शनिवार को प्रधानमंत्री PM MODI Gujrat visit

मंदिर के न्यासी अशोक पांड्या ने बताया कि मंदिर के शिखर को करीब 500 साल पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था। हालांकि, पावागढ़ पहाड़ी पर 11वीं सदी में बने इस मंदिर के शिखर को पुनर्विकास योजना के तहत पुन: स्थापित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुनर्विकसित महाकाली मंदिर का उद्घाटन करेंगे। पांड्या ने बताया कि प्रधानमंत्री नवनिर्मित शिखर पर पारंपरिक लाल ध्वज भी फहराएंगे। यह मंदिर चम्पानेर-पावागढ़ पुरातात्विक पार्क का हिस्सा है, जो यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है और हर वर्ष लाखों श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करने आते हैं।

सुल्तान महमूद बेगड़ा ने तोड़ा था मंदिर का शिखर
पांड्या ने बताया कि माना जाता है कि ऋषि विश्वमित्र ने पावागढ़ में देवी कालिका की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की थी। मंदिर के मूल शिखर को सुल्तान महमूद बेगड़ा ने 15वीं सदी में चम्पानेर पर किए गए हमले के दौरान ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने बताया कि शिखर को ध्वस्त करने के कुछ समय बाद ही मंदिर के ऊपर पीर सदनशाह की दरगाह बना दी गई थी। पांड्या ने बताया, ‘फताका फहराने के लिए खंभा या शिखर की जरूरत होती है। चूंकि मंदिर पर शिखर नहीं था, इसलिए इन वर्षों में फताका भी नहीं फहराई गई। जब कुछ साल पहले पुनर्विकास कार्य शुरू हुआ तो हमने दरगाह की देखरेख करने वालों से अनुरोध किया कि वे दरगाह को स्थानांतरित करने दें ताकि मंदिर के शिखर का पुन: निर्माण हो सके।’

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125 करोड़ से हुआ मंदिर का पुनर्विकास
पांड्या ने कहा कि लोककथा है कि सदनशाह हिंदू थे और उनका मूल नाम सहदेव जोशी था जिन्होंने उन्होंने बेगड़ा को खुश करने के लिए इस्लाम स्वीकार कर लिया था। यह भी माना जाता है कि सदनशाह ने मंदिर को पूरी तरह से ध्वस्त होने से बचाने में अहम भूमिका निभाई थी।’ पांड्या ने कहा, ‘सौहार्द्रपूर्ण तरीके से दरगाह को मंदिर के करीब स्थानांतरित करने का समझौता हुआ।’ गौरतलब है कि 125 करोड़ रुपये की लागत से मंदिर का पुनर्विकास किया गया जिसमें पहाड़ी पर स्थित मंदिर की सीढ़ियों का चौड़ीकरण और आसपास के इलाके का सौंदर्यीकरण शामिल है।

आंखों से आंसू अपने आप निकलने लगते है जब 500 साल बाद पावागढ़ वाली माता मन्दिर के शिखर पर ध्वजा मोदी ने फहराई #सुल्तान_महमूद ने तोड़ दिया था ये प्राचीन मंदिर, और मंदिर को शिखर को तोड़कर मंदिर के माथे पर दरगाह बना दी थी जब से आज तक 500 सालों तक माता के मंदिर के शिखर पर दरगाह थी ध्वज नहीं था । पर जैसे 2014 के बाद भारत ने फिर से करवट लेना शुरू की कश्मीर अयोध्या और काशी विश्वनाथ के साथ पावागढ़ वाली माता के मंदिर पर भी आज दरगाह को शिखर से हटाकर 500 सालों के बाद पुनः धर्म ध्वजा फहराई मोदी ने। मित्रों यह बहुत भाउक पल है, 500 सालों तक हमारी माता जगदंबा अपने ही पावागढ़ में बिना ध्वज के रही आक्रमणकारी सुल्तान अहमद के पाप को धोने में 500 साल लगे दुर्भाग्य से आजादी के बाद कांग्रेस ने भी 70 साल वही किया जो मुगल आक्रमणकारियों ने सनातन को खत्म करने के लिए किया था लेकिन ईश्वर ने 2014 के बाद भारत को फिर से उठ खड़ा करने की ठानी और हिंदू के जागरण और भारत के स्वाभिमान की पुनर्स्थापना प्रारंभ हो गई।

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