देश में पहली बार कॉरप्स ऑफ इंजीनियर्स से होंगे अगले सेना प्रमुख।

देश में पहली बार कॉरप्स ऑफ इंजीनियर्स से होंगे अगले सेना प्रमुख। रणांगन जिनका क्रीडांगन है। हम साधारण बोलचाल की भाषा में कह सकते हैं कि रण क्षेत्र में सबसे पहले जाकर कार्यवाही को अंजाम देना और और सबसे अंतिम समय तक रहकर और विजय दिलाकर निकलना ये काम करते है कॉरप्स ऑफ इंजीनियर्स। हमारे आने वाले सेना प्रमुख यही से आ आते है। उनको नज़दीक से और जानने के लिए हमने संपर्क किया रिटायर्ड जनरल अनुज माथुर से जो कुछ रणक्षेत्र के इस दिग्गज के बारे में उन्होंने बताया वह हम सब भारतवासियों के लिए जानना जरूरी है। उन्होंने बताया कि पाण्डेय जी ने मेजर रहते हुए ऐसा सौभाग्य प्राप्त किया जो बहुत ही कम लोगों के नसीब में होता है उन्होंने स्टाफ कॉलेज ऑफ कैंबरले इंग्लैंड में जाकर स्नातक की डिग्री प्राप्त की। यह केवल उसी व्यक्ति को मिलती है जो अपने बैच का टॉपर होता है। ऑपरेशन पराक्रम के दौरान उन्होंने अपने नेतृत्व का लोहा मनवाया जिससे उनको हायर कमांड के लिए चयनित किया गया कर्नल रहते हुए हायर कमांड मऊ से उन्होंने कोर्स किया और फिर अपने ब्रिगेडियर कार्यकाल में उन्होंने डिग्री ली एनडीसी नेशनल डिफेंस कॉलेज ऑफ दिल्ली से। उन्होंने स्ट्राइक कोर में रहते इंजीनियर् ब्रिगेड को कमांड किया और फिर जर्नल काडर को स्वीकार किया। गौरतलब है कि भारतीय सेना कोर ऑफ इंजीनियर्स युद्धक इंजीनियरिंग सहायता प्रदान करता है, सशस्त्र बलों और अन्य रक्षा संगठनों के लिए बुनियादी ढांचे का विकास करता है और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान नागरिक अधिकारियों की मदद करने के अलावा सीमाओं के साथ संपर्क बनाए रखता है अर्थात साधन, साध्य और साधन सामग्री का रचनात्मक समन्वयात्मक प्रयोग करते हुए जीत सुनिश्चित करती है यह कॉर्प्स। जी हां हम बात कर रहे है लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे की उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल सीपी मोहंती की जगह भारतीय सेना के वाइस चीफ अफसर के तौर पर पद संभाला था। वाइस चीफ बनने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ईस्टन आर्मी कमांडर थे। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे का नाम ऐसे समय पर बतौर सेना प्रमुख आ रहा है जब कयास हैं कि जनरल नरवणे को अगला सीडीएस नियुक्त किया जा सकता है। गौरतलब है कि जनरल विपिन रावत के हेलिकॉप्टर हादसे में शहीद होने के बाद से देश में सीडीएस का पद खाली है। 8 दिसंबर को हेलिकॉप्टर हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिखा समेत सेना के 12 जवान शहीद हो गए थे। जैसा कि माथुर साहब ने बताया कि यह वह आर्मी ऑफिसर है जो हमेशा आर्मी के बैटरमैंट के लिए ही सोचते हैं और स्व. रावत जी के बताए हुए पदचिन्हों पर चलने की काबिलियत रखते हैं। अब हम बात करते है उनके प्रोफेशनल करियर की। सेना में 39 सालों के बेहतरीन करियर में कई चुनौतिपूर्ण सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया है। वे वेस्टर्न कमांड में इंजनीयर ब्रिगेड को कमांड कर चुके हैं। स्ट्राइक कॉर्प्स में हिस्सा लेते हुए। आपने एलओसी के पास इनफेंट्री ब्रिगेड को कमांड किया, वंहा उनकी परफॉर्मेंस आउटस्टैंडिंग रही, जिसको देखते हुए उन्हें NDC दिल्ली भेजा गया। जनरल जून 2020 से मई 2021 तक अंडमान-निकोबार कमांड के भी कमांडर रह चुके हैं। जून 2021 से जनवरी 2022 तक वो ईस्टर्न कमांडर के कमांडर इन चीफ रहे। अपने करियर के दौरान जनरल अफसर को सेना में उनके अतुल्नीय योगदान के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमांडेंट और दो बार सी कमेंडेशन में जीओसी के नवाजा जा चुका का है। पहले उन्होंने इंजीनियरिंग ब्रिगेड को कमांड किया फिर उसी ब्रिगेड के कमांडर के दौरान उनको जर्नल काडर ऑफर हुआ जो उन्होंने एक्सेप्ट किया जोकि एलओसी पर है वेस्टर्न कमांड में स्ट्राइक कोर को कमांड किया फिर उन्होंने कारगिल में माउंटेन ब्रिगेड को कमांड किया जिसमे उन्होंने तत्कालीन चीनी पैतरेबाजी को धत्ता बताते हुए, देश की सीमाओं की रक्षा की, गौरतलब है कि आसाम और नार्थ बंगाल की बहुत बड़ी सीमा चीनी संवेदनशील बॉर्डर को छूती है उसके बाद उन्होंने नॉर्थ ईस्ट LAC पे कोर कमांड किया उन्होंने अपने जीवन में बहुत ही संवेदनशील जगहों पर स्टाफ और इंस्ट्रक्शनल इम्पोर्टेंट अप्वाइंटमेन्ट भी किए। फिर उन्होंने अंडमान निकोबार में पोर्ट ब्लेयर स्थित ज्वाइंट कमांड को लीड किया जिसे कमांडर इन चीफ अंडमान निकोबार CINCAN कहते हैं। फिर उन्हें कलकत्ता स्थित ईस्टर्न कमांड की बागडोर सौपी गयी। ज्ञातव्य है कि यह वही कमांड है। जिसने 1971 में लेफ्टिनेंट कर्नल जगजीत सिंह अरोड़ा के नेतृत्व में केवल 13 दिनों में बांग्लादेश को आजाद करवाया था। इसके बाद वे दिल्ली आए फिर वह वाइस चीफ बने और उसके 2 महीने के बाद वे आर्मी चीफ बने। वे बहुत ही सीनियर मोस्ट विजनरी ऑफिसर है पूरी उम्र उन्होंने आर्मी और देश की भलाई के लिए ही सोचा है। हर तरह के कमांड उन्होंने किए हैं नेवल कमांड भी किया है वेस्टर्न कमांड भी किया है । सारे कमांड उन्होंने ऑपरेशनल इलाकों में किये है। जब संसद पर हमला हो गया था तब उन्होंने ऑपरेशन पराक्रम को कमांड किया था उसका नेतृत्व किया था उस वक़्त ये अपनी रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे । इसके अलावा वे संयुक्त राष्ट्र के एक मिशन में इलेक्ट्रिया भी गए, जो UNMEE कहलाता है। आप देश के बाहर भी चीफ इंजीनियर की हैसियत से काम कर चुके हैं। इस प्रकार के दूरदर्शी व्यक्तित्व जो कि तीनों सेनाओं की आवश्यकताओ को गहराई और सूक्ष्मता से समझते है जिससे सेना के आधुनिकीकरण में बहुत मदद मिलेगी ऐसे आर्मी चीफ को पाकर देश रक्षा क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा। lt;।

2 Replies to “देश में पहली बार कॉरप्स ऑफ इंजीनियर्स से होंगे अगले सेना प्रमुख।”

  1. Heartiest congratulations and v r proud of his accomplishments and success n salute to brave heart n daredevil General n wish him a good luck in future too jai Hind hkm

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