उज्जाई प्राणायाम
आप किसी भी आसन में जो आपके लिए आरामदायक हो जिसमें हमारा मेरुदंड (Spine) सीधा रहे दरी, कंबल, कुर्सी या थोड़े सख्त सोफे के ऊपर बैठ सकते हैं बस ध्यान दीजिएगा हमारा मेरुदंड (Spine) सीधा होना चाहिए आंखें कोमलता से बंद हो, हाथों को ज्ञान मुद्रा या अन्य किसी भी आनंददायक मुद्रा का चुनाव आप कर सकते है ! चेहरे पर प्रसन्नता का भाव, हमारा मेरुदंड (Spine) सीधा रहे ! छाती फूला हुआ और पेट की मांसपेशियां एकदम शिथिल गले और चेहरे की मांसपेशियों को एकदम आरामदायक अवस्था छोड़ दें।
क्रियाविधि – हमारा छाती फुला हुआ पेट की मांसपेशियां शिथिल, गले और चेहरे की मांसपेशियां भी एकदम आरामदायक अवस्था छाती को फुलाकर ठुड्डी को कंठकूप पर लगा देंगे और गले की मांस पेशियों को सिकुड़ कर गले से हल्का आवाज निकालकर धीरे-धीरे श्वास अंदर ले जैसे -जैसे आप श्वास अंदर लेंगे वैसे वैसे अपनी छाती को और अपने फेफड़ों को गुब्बारे की भांति फुलाते चले जाये। जब छाती एकदम फुल जाए उसके बाद जिस प्रकार हमने श्वास को लिया था उसी प्रकार गले से आवाज निकालते हुए श्वास को धीरे धीरे बाहर निकाले और अपने फेफड़ों पूरी तरह सिकुड़ जाने दे। इसी प्रकार करते जाएं कम से कम 4 मिनट करने के बाद 1 मिनट श्वास का अवलोकन (Observation) करें।
लाभ – यह प्राणायाम बहुत ही फायदेमंद है हमारी श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याओं के लिए जैसे- सर्दी, जुखाम, खांसी, अस्थमा, एलर्जी इत्यादि प्रकार की बीमारियों साथ में, गले से संबंधित समस्याओं के लिए भी जैसे थायराइड- पेराथायराइड, टॉन्सिल और वोकल प्रॉब्लम के लि।
सावधनिया – श्वास लेते हुए और निकालते हुए बिल्कुल भी जल्दी बाजी नहीं करें।