जीवन को सुखी बनाने के लिए मुस्कुराइए, दूसरों की प्रशंसा करें और अच्छा करने की ठान लें- प्रो. शर्मा
To make life happy, smile, praise others and be determined to do good – Prof. Sharma
कुलपति ने विभिन्न नए कोर्सेज के संचालन और सुविधाओं की जानकारी दी
जैविभा के 33वां स्थापना दिवस समारोह आयोजित
जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के 33वें स्थापना दिवस पर सम्बोधित करते हुए प्रो. संजीव कुमार शर्मा व कुलपति प्रो. बीआर दूगड, उपस्थित लोग तथा एनएसीसी के लिए सम्मानित करते हुए छात्रा को तथा श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान से सम्मानित करते हुए शिक्षिका को।
लाडनूं। महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार के पूर्व कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने कहा है कि जीवन को सुखी बनाने के लिए मुस्कुराइए, प्रशंसा करना सीखें, ठान लेने पर सब कुछ कर सकते हैं, सकारात्मक बने रहने, अधिक अच्छा कर सकने की क्षमता का विकास और भारती की परम्पराओं का पालन करने की आवश्यकता बताई। यहां सुधर्मा सभा में आयोजित जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के 33वें स्थापना दिवस समारोह में सारस्वत अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को सफलता के अनेक सूत्र बताए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में भी मुस्कुराना नहीं छोड़ना चाहिए। अगर सामने कोई ऐसा व्यक्ति हो, जो आपके लिए समस्या या कष्ट खड़े करता है, तो उसके सामने भी मुस्कुराईए। मुस्कुराने से आपका आत्मविश्वास बढेगा। उन्होंने किसी की भी निन्दा करने से बचने और प्रशंसा करने को आवश्यक बताया। साथ ही कहा कि कोई भी काम अच्छा करने पर भी और उसे अधिक अच्छा किया जा सकता है, ऐसी भावनाएं रखने पर पारंगतता आती है। उन्होंने सकारात्मकता के महत्व को बताते हुए कहा कि जो हो रहा है, वो अच्छा होता है, लेकिन परिश्रम को नहीं छोड़ना चाहिए। प्रो. शर्मा ने विश्वविद्यालय को चरित्र निर्माण, मूल्यों के निर्माण आदि को श्रेष्ठता देने के समग्र दृष्टि रखना चाहिए।
यह विश्वविद्यालय बनेगा विजडम सिटी
समारोह की अध्यक्षता करते हुए जैविभा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने अपने सम्बोधन में बताया कि हम आत्मनिर्भरता की तरफ बढ रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रथम अनुशास्ता आचार्यश्री तुलसी की परिकल्पना से लेकर द्वितीय अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ की दृष्टि और प्रेरणा का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी मंशा के अनुरूप इस संस्थान को एक विजडम सिटी के रूप में विकसित करने और प्राच्य भारतीय विद्याओं का संस्थान बनाने में निरन्तर प्रगति की जा रही है। इसी प्रकार आचार्य महाश्रमण के निर्देशन में उनकी प्रेरणाओं को भी निमित बन कर पूरा करने में हम जुटे हैं। उन्होंने इस अवसर पर तीनों अनुशास्ताओं के साथ अब तक के कुलाधिपतियों और कुलपतियों के योगदान का जिक्र भी किया। प्रो. दूगड़ ने बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ की कल्पना के अनुरूप प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेदिक चिकित्सा और योग चिकित्सा के क्षेत्र में हमने कद बढाए हैं। आचार्य महाप्रज्ञ मेडिकल काॅलेज आॅफ नेचुरोपेथी एंड योग के माध्यम से इसे पूरा करने जा रहे हैं, आगामी सत्र से इस सम्बंध में अनेक पाठ्यक्रमों का प्रारम्भ किया जा रहा है। उन्होंने विभिन्न आॅनलाईन पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स और अनेक सर्टिफिकेट कोर्स जैनालोजी, संस्कृति, प्राकृत, योगा आदि के तैयार किए जा चुके हैं। प्राकृतिक चिकित्सा में डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जा रहा है और उसके बाद सर्टिफिकेट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। कुलपति प्रो. दूगड़ ने सुविधाओं में विस्तार के बारे में बताया कि संस्थान में शिक्षकों को शोध परियोजनाओं के लिए ग्रांट दी जाएगी। विभिन्न विषयों के चयन के बाद शोध के लिए सारी फंडिंग संस्थान द्वारा की जाएगी। यह भी तय किया गया है किए संस्थान की आय का दस प्रतिशत हिस्सा लाईब्रेरी के लिए लगाया जाएगा। उन्होंने अगले सत्र में स्टाफ के लिए 15 क्वार्टर्स का निर्माण करवाए जाने व उनके लिए भूमि खरीद किए जाने की घोषणा भी की। कुलपति ने कहा कि प्रतिवर्ष 8 से 10 उत्कृष्ट साहित्य रचनाओं का प्रकाशन संस्थान द्वारा किया जाएगा। इससे शिक्षक व शोधार्थी लाभान्वित हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि लोक साहित्य व संस्कृति के सम्बंध में दो परियोजनाएं संस्कृति विभाग को भिजवाई गई है, जिनकी स्वीकृति शीघ्र हो जाएगी। इससे संस्थान द्वारा लोक संस्कृति व साहित्य के क्षेत्र में कार्य किया जा सकेगा। राजस्थानी सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन आदि संभव हो सकेंगे। प्रो. दूगड़ ने बताया कि किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाएं देने वालों को ‘प्रोफेसर इन प्रेक्टिस’ की नियुक्ति अगले सत्र से की जाएगी। इसकी स्वीकृति यूजीसे से मिल चुकी है।
मानवीय मूल्यों का सरंक्षण आवश्यक
बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय रोहतक के कुलपति प्रो. आरएस यादव ने स्थापना दिवस को पुनमूल्यंाकन का अवसर बताते हुए कहा कि अपनी 32 वर्षों की यात्रा में जैन विश्वभारती संस्थान आचार्य तुलसी की परिकल्पना के अनुसार लोगों को अज्ञानता के निराकरण के साथ वंचित व पिछड़ों के सशक्तिकरण की दिशा में कार्य किया है। महिला सशक्तिकरण में इस विश्वविद्यालय का येागदान स्पष्ट झलकता है। समाज को अंिहसा, शांति, सौहार्द्र-सद्भाव को संदेश यहो से प्राप्त हो रहा है। यहां केवल शिक्षण व डिग्री देना ही नहीं बल्कि चरित्र निर्माण का कार्य भी किया जा रहा है। उन्होंने वर्तमान में उभर रही राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय चुनौतियों के लिए भी तैयार रहने की आवश्यकता बताई। भूमंडलीकरण, बाजारीकरण, भैतिकतावाद, साईबर क्राईम, आतंकवाद के मुकाबले में नैतिकता के मूल्यों को बचाए रखने और उपभोक्तावाद से संस्कृति के मूल्यों को बचाए रख कर मानवतावादी मूल्यों की पुनस्र्थापना, अहिंसा व शांति के मूल्यों को व्यावहारिक रूप से समुदाय विकास में लागू करने और समाज के समग्र विकास के लिए पारम्परिक मूल्यों को मजबूत बनाने की आवश्यकता बताई।
उकृष्ट कार्याें के लिए किया गया सम्मान
समारोह में श्रेष्ठ विद्यार्थी के सम्मान में हेमकंवर, कल्पज्योति, संतोष ठोलिया, जैन पवित्र राजेश, एनसीसी की श्रेष्ठ केडैट्स के रूप में निशा व पूजा इनाणियां, एनएसएस की स्मृति कुमारी, ममता गोरा व अभिलाषा स्वामी को सम्मानित किया गया। शिक्षक सम्मान में विद्या वारिधि सम्मान से डा आभासिंह व लिपि जैन को नवाजा गया। कौशल निधि सम्मान राहुल दाधीच को दिया गया। श्रमनिधि सम्मान महावीर सिंह को दिया गया। इसी प्रकार खेलकूुद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों का सम्मान भी किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में कुलसचिव प्रो. बीएल जैन ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए वर्ष भर की गतिविधियों व प्रगति की जानकारी दी। इस अवसर पर संस्थान की 32 सालों की प्रगति का वृतचित्र भी प्रस्तुत किया गया। स्वागत वक्तव्य प्रो. नलिन के. शास्त्री ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ समणी प्रणव प्रज्ञा के मंगल संगान से किया गया। अंत में प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कृतज्ञता ज्ञापित की। समारोह में अतिथियों के रूप में प्रो. केएन व्यास, समाजसेवी भागचंद बरड़िया, समणी नियोजिका डा. अमलप्रज्ञा मंचस्थ रहे। कार्यक्रम में गांधी दर्शन समिति की सुमित्रा आर्य, अणवु्रत समिति के शांतिलाल बैद, अब्दुल हमीद मोयल, युवक परिषद के राजकुमार चैरड़िया, विश्व हिन्दू परिषद के नरेन्द्र भोजक, राजेन्द्र खटेड़, राम आनन्द गौशाला के अभयचंद शर्मा, शहर काजी सैयद मोहम्मद मदनी अशरफी, देवाराम पटेल, आदि उपस्थित थे।