think about the interest of rural journalists

विपरीत परिस्थितियों से जूझते ग्रामीण पत्रकारों का हित चिंतन जरूरी- राठौड़ It is necessary to think about the interest of rural journalists battling adversity – Rathod

विपरीत परिस्थितियों से जूझते ग्रामीण पत्रकारों का हित चिंतन जरूरी- राठौड़

लाडनूं। इंडियन फैडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के प्रदेशाध्यक्ष उपेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले पत्रकार ही समाचारों के मूल स्रोत होते हैं। उनकी सुरक्षा के लिए कानूनन व्यवस्था होनी चाहिए। विपरीत परिस्थितियों में काम करने वाले पत्रकारों के पास आवश्यक सुविधाओं का अभाव होता है और उन पर खतरे अधिक होते हैं। उन्होंने यहां पत्रकारों की बैठक में बोलते हुए पुरजोर शब्दों में पत्रकार सुरक्षा कानून और पत्रकारिता से सम्बंधित 13 मांगों पर सरकार को विचार करते हुए मंजूर करने की मांग की। आईएफडब्ल्यूजे के उपखंड अध्यक्ष जगदीश यायावर ने आईएफडब्ल्यूजे को सबसे पुराना, विशाल और मजबूत पत्रकार संगठन बताते हुए सदस्यता के नवीनीकरण और नागौर में 26 जून को होने वाले जिला स्तरीय पत्रकार सम्मेलन में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने का आह्वान किया। आलोक खटेड़ ने पत्रकारों के समक्ष आने वाली विभिन्न समस्याओं के बारे में बताते हुए अधिस्वीकरण व्यवस्था के सरलीकरण की मांग की। बैठक में मो. बिलाल मुगल, सुमित्रा आर्य, लक्ष्मण सिंह चारण, सुशील कुमार शर्मा, राम सिंह रैगर, राहुल सैन, राजेंद्र चोटिया आदि उपस्थित रहे।

State President of Indian Federation of Working Journalists Upendra Singh Rathod has said that only journalists working in rural areas are the original sources of news. There should be a law and order for their safety. Journalists working in adverse conditions lack the necessary facilities and are at high risk. Speaking at the meeting of journalists here, he strongly demanded that the government should accept the Journalist Protection Act and 13 demands related to journalism after considering it. IFWJ Sub-Divisional President Jagdish Yayawar called IFWJ as the oldest, largest and strongest journalist organization, renewal of membership and maximum number of participation in district level press conference to be held at Nagaur on 26th June.

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1st time ever.।।हमारी संस्कृति को जीवित रखने का सुंदर प्रयास। वेद वाक्य, युवक द्रदिष्ठ बलिष्ठ मेधावी सर्व वितस्य पूर्णा स्यात।। स्वामी विवेकानंद।

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