Social environment helps in practical knowledge and problem-solving

जीवन के व्यावहारिक ज्ञान और समस्या-समाधन में सहायक होता है सामाजिक वातावरण- नूतन चैहान Social environment helps in practical knowledge and problem-solving of life

जीवन के व्यावहारिक ज्ञान और समस्या-समाधन में सहायक होता है सामाजिक वातावरण- नूतन चैहान
शिक्षण की प्रोजेक्ट मैथड व ह्यूरिस्टिक विधि पर सात दिवसीय एक्सचेंज कार्यक्रम में एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत सम्बोधन करते वक्ता।
लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में एक सप्ताह का एक्सचेंज प्रोग्राम प्रारम्भ किया गया। यह कार्यक्रम श्री अग्रसेन स्नातकोत्तर शिक्षा महाविद्यालय, सी.टी.ई, केशव विद्धयापीठ जामडोली जयपुर एवं जैन विश्वभारती संस्थान लाडनूं के शिक्षा विभाग के साथ हुए एक सप्ताह के एमओयू के अनुसार आयोजित किया गया। कार्यक्रम में प्रोजेक्ट मैथड के बारे में प्रवक्ता नूतन चैहान ने बताया कि कक्षा-कक्ष के बाहर और जीवन का वास्तविक ज्ञान देने के लिए विद्यालयों में प्रोजेक्ट मैथड का प्रयोग किया जाना चाहिए। प्रोजेक्ट मैथड के जनक किलपैट्रिक है, जिन्होंने इस योजना को सोद्देश्यपूर्ण कार्य करने की प्रक्रिया माना, जो सामाजिक वातावरण में पूर्ण तत्परता से सम्पन्न किया जाता है। यह योजना वास्तविक जीवन का एक छोटा सा अंश है, जिसे विद्यालय में संपादित किया जाता है। यह बालक को जीवन की व्यवहारिक विषयों का ज्ञान कराने में, समस्या का समाधन करने में उत्पादन-रचनात्मक कार्य कराने, कलात्मक-उपभोक्ता सीखाना, कौशलात्मक-अभ्यासात्मक विकास कराने, व्यक्तिगत भिन्नता से सीखने, विचार मंथन-तर्क, चिन्तन व निर्णय का विकास तथा प्रजातांत्रिक विकास कराने में उपयोगी है। वर्तमान समस्याओं का समाधान भी इस विधि में आसानी से किया जा सकता है।
क्रियाशील होकर सीखने में सामाजिक जीवन से जुड़ाव होता है
नूतन चैहान ने बताया कि प्रोजेक्ट मैथड में कार्य कराने पर परिस्थितियों का निर्माण, प्रयोजना का चयन, प्रायोजना की रूपरेखा बनाना, उत्तरदायित्व का विभाजन करना, प्रयोजना का क्रियान्वयन करना, प्रायोजना का मूल्यांकन करना, प्रायोजना का लेखा जोखा रखना अभिलेख संधारण करना- इन चरणों को अपनाया जाना जरूरी है। प्रोजेक्ट में करने योग्य कार्यों के बारे में बताते हुए कहा कि समस्यात्मक प्रोजेक्ट में बीमारी, रोग, बेरोजगारी आदि समस्या का हल होता है। उत्पादन-रचनात्मक प्रोजेक्ट में मॉडल बनाना, बागवानी करना, मिठाई बनाना आदि सिखाया जाता है। कौशलात्मक-अभ्यासात्मक प्रोजेक्ट में कम्प्यूटर सीखना, गाडी सीखना, सलवार सूट सीना आदि सिखाया जाता है तथा कलात्मक-उपभोक्ता प्रोजेक्ट में संगीत, पेंटिग, कागज की टोकरी बनाना आदि सिखाया जाता है। इस में विधि में विद्यार्थी जो कुछ भी सीखता है, वह क्रियाशील होकर सीखता है तथा सीखी हुई सारी क्रियाएं सामाजिक जीवन से सम्बन्धित होती हैं।
परीक्षण के माध्यम से स्वयं सीखने दें बालक को
श्रीअग्रसेन स्नातकोत्तर शिक्षा महाविद्यालय सी.टी.ई केशव विद्धयापीठ जामडोली जयपुर के डॉ. नरेंद्र शंकर शर्मा ने ह्यूरिस्टिक विधि का परिचय देते हुए कहा कि ह्यूरिस्टिक विधि के प्रवर्तक आर्मस्ट्रांग का विश्वास है कि छात्र को स्वयं सत्य को खोज के लिए प्रेरित किया जाए। वह इसमें विशेष आनंद का अनुभव करता है। इस कारण अध्यापक का कर्तव्य है कि छात्र को अपनी ओर से कम से कम बताएं और छात्र को अधिक से अधिक खोज कर ज्ञान प्राप्त करने का अवसर दें। बालक को ऐसी परिस्थितियों में रखा जाए कि वह प्रत्येक तत्व के सिद्धांत चिंतन तथा परीक्षण के माध्यम से समझ सके। अध्यापक बालक को अवसर देने के लिए उसके कार्य में कम से कम हस्तक्षेप करें। विधि के उद्देश्य बालक में वैज्ञानिक भावना का विकास करना, तथ्य, सिद्धांत, नियमों की शिक्षा देना, देखने की, खोजने की तथा विचारों को व्यक्त करने की क्षमता विकसित करना।
शिक्षा की गुणवता बढेगी
कार्यक्रम के प्रारम्भ में आयोजन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने अतिथियों का परिचय करवाया तथा बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम से शिक्षा की गुणवत्ता, शिक्षा का विस्तार, शिक्षा का संवर्धन होता है। कार्यक्रम में शिक्षा विभाग की डॉ. अमिता जैन एवं बी.एड. द्वितीय वर्ष एवं बीए-बीएससी व बीएड की छात्राएं उपस्थित रहीं।

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