Rajasthan Police gets a new flight Shri Sharma becomes the first DGCA certified remote pilot instructor

राजस्थान पुलिस को मिली नई उड़ान : श्री शर्मा बने राजस्थान पुलिस के पहले डीजीसीए प्रमाणित रिमोट पायलट इंस्ट्रक्टर

राजस्थान पुलिस को मिली नई उड़ान : श्री शर्मा बने राजस्थान पुलिस के पहले डीजीसीए प्रमाणित रिमोट पायलट इंस्ट्रक्टर

जयपुर, इंटेलीजेंस ट्रेनिंग अकादमी (आईटीए), जयपुर में पदस्थापित श्री रमेश शर्मा ने राजस्थान पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने भारत सरकार के नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA), नई दिल्ली द्वारा आयोजित रिमोट पायलट इंस्ट्रक्टर कोर्स को पहले ही प्रयास में सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस सफलता के साथ श्री शर्मा राजस्थान पुलिस के प्रथम ड्रोन इंस्ट्रक्टर बन गए हैं।

महानिदेशक पुलिस, इंटेलीजेंस श्री संजय अग्रवाल के निर्देशों के तहत यह पहल की गई थी। राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ती ड्रोन गतिविधियों को देखते हुए आईटीए जयपुर में एक ड्रोन रिसर्च सेंटर और ड्रोन फोरेंसिक लैब स्थापित करने का उद्देश्य है। इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आईटी सेल के प्रभारी श्री रमेश शर्मा को इस विशिष्ट रिमोट पायलट इंस्ट्रक्टर कोर्स के लिए भेजा गया था।
प्रतिभावान श्री शर्मा के अथक परिश्रम और समर्पण ने उन्हें इस अत्यंत कठिन परीक्षा में सफलता दिलाई। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि डीजीसीए (DGCA) द्वारा आयोजित इस परीक्षा का परिणाम मात्र 22% रहा है, जो उनकी उपलब्धि को और भी खास बनाता है। यह दिखाता है कि उन्होंने कितनी कुशलता और ज्ञान के साथ यह कोर्स पूरा किया है.

रिमोट पायलट इंस्ट्रक्टर कोर्स क्या है
इंटेलीजेंस ट्रेनिंग अकादमी (आईटीए), जयपुर की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शालिनी सक्सेना ने बताया कि यह कोर्स एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम है जो व्यक्तियों को ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण देने के लिए योग्य बनाता है। यह उन प्रमाणित ड्रोन पायलटों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो अब दूसरों को ड्रोन संचालन, संबंधित नियमों और सुरक्षा प्रक्रियाओं को सिखाना चाहते हैं।

इस कोर्स में मुख्य रूप से ये शामिल हैं : शिक्षण कौशल, हवाई कानून और नियम, ड्रोन संचालन और उड़ान यांत्रिकी, सुरक्षा प्रक्रियाएं और जोखिम प्रबंधन, और व्यावहारिक उड़ान प्रशिक्षण। इन सभी पहलुओं पर गहन प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि इंस्ट्रक्टर छात्रों को ड्रोन के सुरक्षित और प्रभावी संचालन के लिए पूरी तरह से तैयार कर सकें।
भारत में, रिमोट पायलट इंस्ट्रक्टर बनने के लिए डीजीसीए द्वारा प्रमाणित प्रशिक्षण संगठनों से कोर्स करना अनिवार्य है। यह कोर्स पूरा करने के बाद, एक व्यक्ति एक प्रमाणित रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (RPTO) में इंस्ट्रक्टर के रूप में काम कर सकता है, जो ड्रोन पायलटों को प्रशिक्षित करने के लिए अधिकृत हैं।
श्री रमेश शर्मा की यह उपलब्धि राजस्थान पुलिस की तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करने और ड्रोन तकनीक का उपयोग कर सुरक्षा और निगरानी को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह राज्य में ड्रोन संचालन के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा, जिससे कानून प्रवर्तन और सुरक्षा के क्षेत्र में ड्रोन का बेहतर उपयोग संभव हो पाएगा।
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[17:34, 31/5/2025] SC Sharma: राजस्थान पुलिस: आकस्मिक अवकाश के लिए ‘राज-काज लीव एप्लिकेशन’ अनिवार्य

सभी अधिकारियों को पालना के दिए निर्देश

जयपुर, 30 मई। राजस्थान पुलिस ने अपने कर्मचारियों के लिए आकस्मिक अवकाश (कैजुअल लीव) स्वीकृत करने की प्रक्रिया को डिजिटल और अधिक पारदर्शी बनाने की दृष्टि से सभी राजपत्रित और अराजपत्रित पुलिस कर्मियों को अपने आकस्मिक अवकाश के लिए ‘राज-काज लीव एप्लिकेशन’ के माध्यम से ही आवेदन करना होगा और उसे स्वीकृत कराना होगा।
यह आदेश शुक्रवार को अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस प्रशासन, कानून एवं व्यवस्था श्री विशाल बंसल द्वारा जारी किया गया है, जिसे महानिदेशक पुलिस, राजस्थान से भी अनुमोदन प्राप्त है। इस आदेश को पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों, आयुक्तालयों, जिला पुलिस अधीक्षकों, पुलिस दूरसंचार विभाग, आर.ए.सी. बटालियनों और पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों सहित सभी संबंधित पुलिस इकाइयों को भेजा गया है

इसलिए जारी हुए निर्देश
श्री बंसल ने बताया कि यह जानकारी सामने आई थी कि विभिन्न पुलिस कार्यालयों, विशेषकर थानों, पुलिस लाइन्स, आर.ए.सी. बटालियनों और प्रशिक्षण संस्थानों में, अराजपत्रित पुलिस कर्मियों के आकस्मिक अवकाश अभी भी व्यक्तिगत प्रार्थना पत्रों के माध्यम से स्वीकृत किए जा रहे थे। इस पुरानी प्रणाली को अनुचित माना गया, क्योंकि इससे कई व्यवहारिक और प्रशासनिक समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं:
1. रिकॉर्ड रखने में समस्या : व्यक्तिगत आवेदनों के कारण कर्मचारियों के अवकाश का सही और अद्यतन विवरण बनाए रखना मुश्किल हो रहा था।
2. भेदभाव की आशंका : यह आशंका रहती थी कि वरिष्ठ अधिकारी अवकाश स्वीकृति में भेदभाव कर सकते हैं, जैसे कि पहले प्राप्त आवेदनों को अस्वीकार कर बाद में प्राप्त आवेदनों को स्वीकार करना। यह स्थिति अक्सर कर्मचारियों के बीच असंतोष पैदा करती थी।
3.. मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव : इस तरह की अनियमितताएं और पारदर्शिता की कमी सीधे तौर पर पुलिस कर्मियों के मनोबल को प्रभावित कर सकती थीं, जिससे उनके प्रदर्शन पर असर पड़ सकता था।
‘राज-काज लीव एप्लिकेशन’ की नई और बेहतर सुविधाएँ
श्री बंसल ने बताया कि कुछ जगह ‘राज-काज लीव एप्लिकेशन’ का उपयोग इसलिए नहीं किया जा रहा था क्योंकि इसमें अवकाश को कम करने, या राजपत्रित अवकाश देने या न देने जैसे कुछ विकल्प उपलब्ध नहीं थे। हालांकि अब इन सभी तकनीकी समस्याओं का समाधान कर लिया गया है। एप्लिकेशन में ये सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जिससे यह अवकाश प्रबंधन के लिए एक पूर्ण और प्रभावी उपकरण बन गया है।
एडीजी ने बताया कि भविष्य में सभी अधीनस्थ अराजपत्रित पुलिस कर्मचारियों के आकस्मिक अवकाश ‘राज-काज लीव एप्लिकेशन’ के माध्यम से ही स्वीकृत किए जाएंगे। यह कदम अवकाश प्रबंधन को अधिक पारदर्शी, कुशल और निष्पक्ष बनाएगा, जिससे पुलिस कर्मियों के बीच विश्वास बढ़ेगा और उनके मनोबल को बनाए रखने में मदद मिलेगी। यह राजस्थान पुलिस के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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