पारद शिवलिंग बनाने की प्रक्रिया

पारद शिवलिंग बनाने की प्रक्रिया, Procedure to make Parad Shivling

पारद शिवलिंग बनाने की प्रक्रिया
क्या है??️
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?पारद (पारा) को रसराज कहा जाता हैं। पारद से बने शिवलिंग की पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का ही रूप हैं इसलिए इसकी पूजा विधि-विधान से करने से कई गुना फल प्राप्त होता हैं तथा हर मनोकामना पूरी होती हैं। घर में पारद शिवलिंग सौभाग्य, शान्ति, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा हेतु अत्यधिक सौभाग्यशाली हैं। दुकान, ऑफिस व फैक्टरी में व्यापार को बढाने हेतु पारद शिवलिंग का पूजन एक अचूक उपाय हैं। शिवलिंग का मात्र दर्शन ही सौभाग्यशाली होता हैं। इसहेतु किसी प्राणप्रतिष्ठा की आवश्कता नहीं हैं। पर इससे ज्यादा लाभ उठाने हेतु पूजन विधिवत की जानी चाहिए।

⚜️शुद्ध पारद शिवलिंग की पहचान-

पारद शिवलिंग पारा अर्थात Mercury का बना होता हैं। आज कल बाजार में पारद शिवलिंग बने बनाए मिलते हैं। ये सर्वथा अशुद्ध एवं किन्ही विशेष परिस्थितियों में हानि कारक भी होते हैं। जैसे सुहागा एवं ज़स्ता के संयोग से बना शिवलिंग भी पारद शिवलिंग जैसा ही लगता हैं। इसी प्रकार एल्युमिनियम से बना शिवलिंग भी पारद शिवलिंग जैसा ही लगता हैं। किन्तु उपरोक्त दोनों ही शिवलिंग घर में या पूजा हेतु नहीं रखने चाहिए। इससे रक्त रोग, श्वास रोग एवं मानसिक विकृति उत्पन्न होती हैं। अतः ऐसे शिवलिंग या इन धातुओ से बने कोई भी देव प्रतिमा घर या पूजा के स्थान में नहीं रखने चाहिए।

पारद शिव लिंग का निर्माण क्रमशः तीन मुख्या धातुओ के रासायनिक संयोग से होता हैं। “अथर्वन महाभाष्य में लिखा हैं कि-

?“द्रत्यान्शु परिपाकेनलाब्धो यत त्रीतियाँशतः। पारदम तत्द्वाविन्शत कज्जलमभिमज्जयेत। उत्प्लावितम जरायोगम क्वाथाना दृष्टोचक्षुषः तदेव पारदम शिवलिंगम पूजार्थं प्रति गृह्यताम।

✔️अर्थात अपनी सामर्थ्य के अनुसार कम से कम कज्जल का बीस गुना पारद एवं मनिफेन (Magnesium) के चालीस गुना पारद, लिंग निर्माण हेतु परम आवश्यक हैं। इस प्रकार कम से कम सत्तर प्रतिशत पारा, पंद्रह प्रतिशत मणि फेन या मेगनीसियम तथा दस प्रतिशत कज्जल या कार्बन तथा पांच प्रतिशत अंगमेवा या पोटैसियम कार्बोनेट होना चाहिए।ऐसे पारद शिवलिंग को आप केवल बिना पूजा के अपने घर में रख सकते हैं। यदि आप चाहें तो इसकी पूजा कर सकते हैं। किन्तु यदि अभिषेक करना हो तो उसके पश्चात इस शिवलिंग को पूजा के पश्चात घर से बाहर कम से कम चालीस हाथ की दूरी पर होना चाहिए। अन्यथा इसके विकिरण का दुष्प्रभाव समूचे घर परिवार को प्रभावित करेंगा। किन्तु यदि रोज ही नियमित रूप से अभिषेक करना हो तो इसे घर में स्थायी रूप से रखा जा सकता हैं।

?ऐसे व्यक्ति बहुत बड़े तपोनिष्ठ उद्भात्त विद्वान होते हैं। यह साधारण जन हेतु संभव नहीं हैं। अतः यदि घर में रखना हो तो उसका अभिषेक न करें।

पारद शिवलिंग यदि कोई अति विश्वसनीय व्यक्ति बनाने वाला हो तो उससे आदेश या विनय करके बनवाया जा सकता हैं। वैसे भी इसका परीक्षण किया जा सकता हैं। यदि इस शिवलिंग को अमोनियम हाईड्राक्साइड से स्पर्श कराया जाय तो कोई दुर्गन्ध नहीं निकलेगा। किन्तु पोटैसियम क्लोरेट से स्पर्श कराया जाय तो बदबू निकलने लगेगी। यही नहीं पारद शिव लिंग को कभी भी सोने से स्पर्श न करायें नहीं तो यह सोने को खा जाता हैं।

यद्यपि पारद शिवलिंग एवं इसके साथ रखे जाने वाले दक्षिणा वर्ती शंख की बहुत ही उच्च महत्ता बतायी गयी हैं। विविध धर्म ग्रंथो में इसकी भूरी भूरी प्रशंसा की गयी हैं। किन्तु यदि इसके निर्माण की विश्वसनीयता पर तनिक भी संदेह हो तो इसका परित्याग ही सर्वथा अच्छा हैं। अतः सामान्य रूप से बाजार में मिलने वाले पारद शिवलिंग के नाम पर कोई शिवलिंग तब तक न खरीदें जब तक आप उसकी शुद्धता पर आश्वस्त न हो जाएँ।

⚜️पारद शिवलिंग बनाने की विधि-

पहले बाजार में मिलने वाले।शिवलिंग ना लेवे वे सब तूतिया से बनाए जाते हैं जिसका शास्त्रो में कोई उल्लेख नही हैं।

आप पारे को ठोस करने हेतु पारे में शुद्ध सोना या शुद्ध चांदी मिला सकते हैं तथा धीरे2 मिलाते रहने से

पारा ठोस हो जाएगा।

परन्तु एक तथा बात पारे को सब से पहले अष्ठ संस्कार द्वारा शुद्ध किया जाता हैं जो अत्यंत ही महत्वपूर्ण हैं

तत्पश्चात आप पारे को शुद्ध करने के पश्चात उसमें

सोना या चांदी मिलाकर ठोस कर सकते हैं।

तथा 108 आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों से पहले पारे के जहर को कम किया जाता हैं जिसमे अलग अलग जड़ीबूटियों में पारे को डाल के हर बार शुद्ध कर के फिर सोना चांदी इत्यादि मिलाकर ठोस कर के शुद्ध दुग्ध में 10 से 15 मिनट रख के फिर इस्तेमाल या पूजा हेतु तैयार किया जाता हैं।

बस बाजार के शिवलिंग नही खरीदे वो 100% अशुद्ध हैं तथा नुकसान पहुचाने वाले हैं।

?पूजन की विधि

सर्वप्रथम शिवलिंग को सफेद कपड़े पर आसन पर रखें।

स्वयं पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए।

अपने आसपास जल, गंगाजल, रोली, मोली, चावल, दूध तथा हल्दी, चन्दन रख लें।

सबसे पहले पारद शिवलिंग के दाहिनी तरफ दीपक जला कर रखो।

✔️थोडा सा जल हाथ में लेकर तीन बार निम्न मन्त्र का उच्चारण करके पी लें।

?प्रथम बार- ॐ मुत्युभजाय नम:

?दूसरी बार- ॐ नीलकण्ठाय: नम:

?तीसरी बार- ॐ रूद्राय नम:

?चौथी बार- ॐ शिवाय नम:

हाथ में फूल तथा चावल लेकर शिवजी का ध्यान करें तथा मन में •”ॐ नम: शिवाय“ का 5 बार स्मरण करें तथा चावल तथा फूल को शिवलिंग पर चढ़ा दें।

इसके पश्चात •ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करते रहे।

फिर हाथ में चावल तथा पुष्प लेकर •“ॐ पार्वत्यै नम:” मंत्र का उच्चारण कर माता पार्वती का ध्यान कर चावल पारा शिवलिंग पर चढ़ा दें।

इसके पश्चात •ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करें।

फिर मोली को तथा इसके पश्चात जनेऊ को पारद शिवलिंग पर चढ़ा दें।

इसके पश्चात हल्दी तथा चन्दन का तिलक लगा दे।

चावल अर्पण करें इसके पश्चात पुष्प चढ़ा दें।

मीठे का भोग लगा दे।

भांग, धतूरा तथा बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ा दें।

फिर अन्तिम में शिव की आरती करें तथा प्रसाद आदि ले लो।

जो व्यक्ति इस प्रकार से पारद शिवलिंग का पूजन करता हैं इसे शिव की कृपा से सुख समृद्धि आदि की प्राप्ति होती हैं।

⚜️लाभ

?इसे घर में स्थापित करने से भी कई लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं-

  • पारद शिवलिंग सभी प्रकार के तन्त्र प्रयोगों को काट देता हैं।
  • पारद शिवलिंग जहां स्थापित होता हैं उसके १०० फ़ीट के दायरे में उसका प्रभाव होता हैं। इस प्रभाव से परिवार में शांति तथा स्वास्थ्य प्राप्ति होती हैं।
  • पारद शिवलिंग शुद्ध होना चाहिये, हस्त निर्मित होना चाहिये, स्वर्ण ग्रास से युक्त होना चाहिये, उसपर फ़णयुक्त नाग होना चाहिये। कम से कम सवा किलो का होना चाहिये।
  • य़दि बहुत प्रचण्ड तान्त्रिक प्रयोग या अकाल मृत्यु या वाहन दुर्घटना योग हो तो ऐसा शुद्ध पारद शिवलिंग उसे अपने ऊपर ले लेता हैं। ऐसी स्थिति में यह अपने आप टूट जाता हैं, तथा साधक की रक्षा करता हैं।
  • पारद शिवलिंग की स्थापना करके साधना करने पर स्वतः साधक की रक्षा होती रहती हैं।विशेष रूप से महाविद्या तथा काली साधकों को इसे अवश्य स्थापित करना चाहिये।
  • पारद शिवलिंग को घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं साथ ही घर का वातावरण भी शुद्ध होता हैं। पारद शिवलिंग की स्थापना करके साधना करने पर स्वतः साधक की रक्षा होती रहती हैं।विशेष रूप से महाविद्या तथा काली साधकों को इसे अवश्य स्थापित करना चाहिये।
  • पारद शिवलिंग को घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं साथ ही घर का वातावरण भी शुद्ध होता हैं।
  • पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का स्वरूप माना गया हैं। इसलिए इसे घर में स्थापित कर प्रतिदिन पूजन करने से किसी भी प्रकार के तंत्र का असर घर में नहीं होता तथा न ही साधक पर किसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता हैं।
  • यदि किसी को पितृ दोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृ दोष समाप्त हो जाता हैं।
  • अगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसे पारद शिवलिंग पर अभिषेक किया हुआ पानी पिलाने से वह ठीक होने लगता हैं।
  • पारद शिवलिंग की साधना से विवाह बाधा भी दूर होती हैं।।

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