Pranayam for cold, cough and asthma Yogacharya Dhakaram

जुकाम, खांसी और अस्थमा के लिए प्राणायाम योगाचार्य ढाकाराम

जुकाम, खांसी और अस्थमा के लिए प्राणायाम
योगाचार्य ढाकाराम

Pranayama for cold, cough and asthma Yogacharya Dhakaram

एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है।
प्यारे मित्रों आज हम बात करेंगे सूर्य भेदी प्राणायाम पर। अभी सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है उसको देखते हुए हम आज आपके लिए लेकर आए हैं सूर्य भेदी प्राणायाम। देखिए कुछ प्राणायाम ऐसे होते हैं जो सदाबहार करने के होते हैं, कुछ प्राणायाम ऐसे होते हैं जिनको हम ग्रीष्म काल में करते हैं और कुछ प्राणायाम ऐसे होते हैं जिन्हें हम शीत ऋतु में करते हैं। सूर्य भेदी प्राणायाम बहुत अच्छा है सर्दियों में करने के लिए जो शरीर में गर्मी को बढ़ाता है। जैसा हमने आपको पहले भी बताया कि हमारे पास है चंद्र नाड़ी यानी कि हमारी बाएं नासिक और सूर्य नाड़ी यानी कि हमारी दाहिनी नासिका। हमारे शरीर में तीन नाड़ी होती हैं सूर्य नाड़ी, चंद्र नाड़ी और सुषुम्ना नाड़ी।

सूर्य भेदी प्राणायाम करने का तरीका
सूर्य भेदी प्राणायाम में सूर्य नाड़ी से सांस लेते हैं और चंद्र नाड़ी से सांस निकलते हैं। हम दाहिनी नासिक से स्वास को अंदर लेंगे और बाएं नासिक से श्वास को बाहर निकलेंगे परंतु हकीकत में पहले हम दाहिनी नासिका से पूरा श्वास निकाल कर अपने फेफड़ों को खाली कर देंगे, फिर धीरे-धीरे दाहिनी नासिका से सांस लेंगे पूरा श्वास लेने के बाद दाहिनी नासिक को बंद करके बाएं नासिक से श्वास को निकाल देंगे। यह प्रक्रिया लगातार चलता रहेगा। जब भी आपको समाप्त करना हो या अपने हाथ दर्द हो जाए व अपने राउंड को समाप्त करना हो दाहिनी नासिका से श्वास पूरा भरकर आराम करेंगे इसका मतलब यह है कि यह प्राणायाम श्वास को पूरा बाहर निकाल शुरुआत करेंगे और श्वास पूरा अन्दर लेकर समाप्त करेंगे इस बात का विशेष ध्यान रखें इससे पूर्ण फायदा हमें मिलता है यह प्राणायाम करने के लिए हम नासिका मुद्रा या प्राणायाम मुद्रा का उपयोग करेंगे। नासिक मुद्रा के लिए तर्जनी और मध्यमा उंगलियां को मोड कर रखेंगे तथा अंगूठे से दाहिनी नासिका और कनिष्ठ व अनामिका से बाएं नासिक को पकड़े। नथुनों को बहुत ही हल्के हाथों से दबाव देंगे। बाएं नथुने को बंद करते हुए दाहिने नथुने से श्वास निकाल कर धीरे-धीरे श्वास को अंदर भरेंगे उसके बाद धीरे-धीरे बाएं नथुने से श्वास को बाहर निकाल देंगे। इसी प्रकार लगातार 5 से 7 राउंड या 4 से 5 मिनट करेंगे जब भी आपको आराम करना है या समाप्त करना हो तब जैसे कि पहले ही बता चुके हैं दाहिनी नासिका से पूरा श्वास लेकर समाप्त करेंगे उसके बाद आंखों को बंद रखते हुए अवलोकन करना, इस प्राणायाम को करने से पहले और करने के बाद क्या प्रभाव हमारे तन और मन में पड़ा उसे साक्षी भाव से देखेंगे।
सूर्य भेदी प्राणायाम करने के लाभ
इसे हमारे उम्र बढ़ाने की क्रिया लम्बी हो जाती है।
इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास करने से शरीर ऊर्जावान बना रहता है। सूर्य भेदी प्राणायाम से हमारे कफ दोष दूर होते हैं। हमारे शरीर में सर्दी से होने वाले रोग जैसे सर्दी, खांसी,जुकाम और अस्थमा आदि रोगों में फायदेमंद है। जिनको बार-बार छींक आती है, एलर्जी है उन लोगों के लिए भी है बहुत फायदेमंद है
सूर्य भेदी प्राणायाम में सावधानियां
• यह प्राणायाम जिनको अधिक पसीना आता है, जिनको मुंह में छाले हैं, जिनको अल्सर है, जिनको पित्त बनता है, जिनकी नकसीर बहती है नहीं करना चाहिए।
• जितने समय में हम सांस को अंदर लेते हैं उससे अधिक समय में हमें श्वास को बाहर निकलना चाहिए।
• श्वास को अंदर लेने और बाहर निकलने में आवाज नहीं आनी चाहिए।
• प्राणायाम करते समय दाहिने हाथ की कोहनी कंधे के बराबर होनी चाहिए ना ज्यादा ऊपर ना ज्यादा नीचे।
• हमारी गर्दन एकदम सीधी होनी चाहिए। यह देखने के लिए की हमारी नाक सीधी है या नहीं मैं हमेशा बोलता हूं कि हमारी नाक हमारे नाभि के सीध में होनी चाहिए।
• नाक को बड़े ही आराम से पकड़ना चाहिए।
• हमेशा श्वास को बाहर निकलते हुए ही इस प्राणायाम की शुरूआत करना चाहिए और प्राणायाम को समाप्त करते हैं तो श्वास को अंदर लेते हुए ही प्राणायाम का समापन करना चाहिए इस पर हम पहले चर्चा कर चुके हैं इसका विशेष ध्यान रखें।
• अगर आपकी नासिका बंद है तो सोने से पहले उसमें बादाम का तेल या गाय का घी अवश्य डालें। बादाम का तेल या गाय का घी नासिका में डालने से सर दर्द और माइग्रेन से राहत मिलती है।
इसी के साथ आप सभी मित्रों का बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार। आप सभी का जीवन यूं ही आनंदमय रहे।

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