वन भूमि पर बसे अतिक्रमियों के पुनर्वास का कोई प्रावधान नहीं
- वन एवं पर्यावरण मंत्री
जयपुर 22 सितम्बर। वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री हेमा राम चौधरी ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए विभाग द्वारा नियमानुसार कार्रवाई की जाती है। उन्होंने बताया कि अतिक्रमियों को हटाए जाने के बाद उनके पुनर्वास का वर्तमान में कोई प्रावधान नहीं है।
श्री चौधरी ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्य द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि वर्ष 2019-20 में वन भूमि पर अतिक्रमण के 3 हजार 13 प्रकरणों का निस्तारण किया गया तथा 57.20 लाख का जुर्माना वसूला गया। वर्ष 2020-21 में 341 प्रकरणों का निस्तारण किया गया तथा 40 लाख रुपये जुर्माने के रूप में वसूले गए। इसी प्रकार वर्ष 2021-22 में 741 प्रकरणों का निस्तारण कर 50 लाख रुपये का जुर्माना वसूल किया गया। उन्होंने बताया कि राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 तथा वन्य जीव संरक्षण अधिनियम- 1972 के तहत अतिक्रमियों के खिलाफ कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि वन भूमि पर अतिक्रमण करने वालों के लिए पुनर्वास का कोई प्रावधान नहीं है। श्री चौधरी ने कहा कि केवल जनजाति क्षेत्र में वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टे दिये जाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि वन भूमि को किसी और उपयोग में काम नहीं लिया जा सकता है।
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने इस संबंध में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि राज्य में ऎसे अनेकों क्षेत्र हैं जहां वन मौजूद नहीं होने पर भी वह वन भूमि के नाम पर दर्ज है और वहां लोग लम्बे समय से बसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग तथा राजस्व विभाग द्वारा आपसी समन्वय से इस वन भूमि को राजस्व भूमि घोषित करने तथा बदले में उतनी राजस्व भूमि को वन भूमि घोषित करने का प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र सरकार को भेजा जा सकता है।
इससे पहले वन एवं पर्यावरण मंत्री ने विधायक श्री बाबूलाल नागर के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि प्रदेश में वन क्षेत्र की भूमि पर अतिक्रमणों का चिन्हीकरण किया गया है। उन्होंने जिलेवार संख्यात्मक विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि वन क्षेत्र में किये गये अवैध अतिक्रमणों को हटाने के लिए भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 91 या वन्यवजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 34 ए के प्रावधानों अनुसार नियमानुसार सुनवाई कर प्रकरणों में निर्णय अनुसार अतिक्रमणों को हटाया जाता है। उन्होंने कहा कि अतिक्रमियों को पुनर्वासित करने से वन क्षेत्र में अतिक्रमण को और बढ़ावा मिलने की संभावना है।
Jaipur 22 Sept. Forest and Environment Minister Shri Hema Ram Chaudhary said in the Vidhan Sabha on Thursday that action is taken by the department as per rules to remove the encroachment on forest land. He said that at present there is no provision for their rehabilitation after the trespassers are removed.
In response to the supplementary question asked by the member in this regard during the Question Hour, Shri Chaudhary said that in the year 2019-20, 3 thousand 13 cases of encroachment on forest land were disposed of and a fine of 57.20 lakh was collected. In the year 2020-21, 341 cases were disposed of and Rs 40 lakh was recovered as fine. Similarly, in the year 2021-22, a fine of Rs 50 lakh was recovered after disposing of 741 cases. He said that under the Rajasthan Land Revenue Act 1956 and Wildlife Protection Act 1972, there is a provision of imprisonment and fine against the trespassers. He said that there is no provision of rehabilitation for those encroaching on forest land. Shri Chowdhary said that there is a provision to give pattas under Forest Rights Act only in tribal areas. He said that forest land cannot be used for any other use.
Intervening in this regard, Speaker CP Joshi said that there are many such areas in the state where even though there is no forest, it is registered in the name of forest land and people have been settled there for a long time. He said that the Forest Department and the Revenue Department can prepare a proposal to declare this forest land as revenue land and in return, a proposal to declare this forest land as forest land can be sent to the Central Government.
Earlier, the Forest and Environment Minister, in a written reply to the original question of MLA Shri Babulal Nagar, said that encroachments have been marked on forest land in the state. He laid the district wise numerical details on the Table of the House. He said that in order to remove illegal encroachments done in the forest area, according to the provisions of Section 91 of the Land Revenue Act 1956 or Section 34A of the Wildlife (Protection) Act, 1972, encroachments are removed as per the decision in the cases after hearing the rules. He said that rehabilitating the encroachers is likely to give further impetus to encroachment in the forest area.
नवरात्रों में रामचरितमानस का नवाह्न परायण।