More than 50 had fought wrestling and did not lose a single one. *He had picked up a 1200 kg stone. *5,000 Hindu squats or meetings, 3,000 Hindu push-ups or sticks in the exercise. * Used to wrestle with his 40 teammates daily. He drank 10 liters of milk daily. Along with this, 6 desi chickens were also included in their diet. Yes, we are talking about the famous Gama wrestler of India today is his 144th birthday.

*50 से अधिक कुश्ती लड़ी थीं और एक को भी नहीं हारा.
*1200 किलो के पत्थर को उठा लिया था उसने।
*एक्सरसाइज में 5 हजार हिंदू स्क्व़ॉट्स या बैठक, 3 हजार हिंदू पुश-अप या डंड।
*रोजाना अपने 40 साथियों के साथ कुश्ती किया करते थे.
*रोजाना 10 लीटर दूध पिया करते थे. इसके साथ ही 6 देसी मुर्गे भी उनकी डाइट में शामिल थेl
जी हां हम बात कर रहे हैं भारत के सुप्रसिद्ध गामा पहलवान की उनकी आज उनका 144 वा जन्मदिन है।

भारत में कुश्ती और पहलवानी सदियों से चली आ रही है. दारा सिंह, उदय चांडो जैसे कई ऐसे पहलवान हुए, जिन्होंने देश का नाम दुनिया भर में रोशन किया. ऐसे ही एक भारतीय पहलवान का नाम था ‘गामा पहलवान’. इन्होंने अपनी जीवन की एक भी कुश्ती नहीं हारी. आज उनके 144वें जन्मदिन पर उनकी लाइफ के बारे में जानेंगे.
भारत में एक से बढ़कर एक पहलवान हुए हैं, जिन्होंने दुनिया में देश का नाम रोशन किया और खूब नाम कमाया. ऐसे ही एक पहलवान का नाम था ‘गामा पहलवान’. इन्हें ‘द ग्रेट गामा’ और रुस्तम-ए-हिंद नाम से भी जाना जाता था. आज 22 मई 2022 को उनका 144वां जन्मदिन है और गूगल ने डूडल बनाकर उनके जन्मदिन को और भी खास बनाया है. गामा पहलवान ने अपने जीवन के 50 साल कुश्ती को दिए और कई खिताब जीते. बताया जाता है कि उनका जीवन का अंतिम समय काफी तंगी में गुजरा. तो आइए गामा पहलवान के जन्मदिन मौके पर उनकी लाइफ, करियर, डाइट और वर्कआउट के बारे में जान लेते हैं.
गामा पहलवान का मूल नाम गुलाम मोहम्मद बख्श बट था. बताया जाता है कि उनका जन्म 22 मई 1878 को अमृतसर के जब्बोवाल गांव में हुआ था. इनके जन्म को लेकर विवाद है क्योंकि कुछ रिपोर्ट बताती हैं कि उनका जन्म मध्यप्रदेश के दतिया में हुआ था.

गामा पहलवान की लंबाई 5 फीट 7 इंच और वजन लगभग 113 किलो था. उनके पिता का नाम मुहम्मद अजीज बक्श था और पहलवानी के शुरुआती गुर गामा पहलवान को उनके पिताजी ने ही सिखाए थे.
गामा पहलवान के गांव के रहने वाले थे और उनका खान-पान भी देसी हुआ करता था. रिपोर्ट दावा करती हैं कि उनकी डाइट काफी हैवी हुआ करती थी. वे रोजाना 10 लीटर दूध पिया करते थे. इसके साथ ही 6 देसी मुर्गे भी उनकी डाइट में शामिल थे. साथ ही वे एक ड्रिंक बनाते थे जिसमें लगभग 200 ग्राम बादाम डालकर पिया करते थे. इससे उन्हें ताकत मिलती थी और बड़े-बड़े पहलवानों को मात देने में मदद मिलती थी.

गामा पहलवान की एक्सरसाइज (Workout of Gama Pehlwan)

रिपोर्ट बताती हैं कि गामा पहलवान रोजाना अपने 40 साथियों के साथ कुश्ती किया करते थे. उनकी एक्सरसाइज में 5 हजार हिंदू स्क्व़ॉट्स या बैठक, 3 हजार हिंदू पुश-अप या डंड हुआ करते थे. सयाजीबाग में बड़ौदा संग्रहालय में एक 2.5 फीट क्यूबिकल पत्थर रखा हुआ है, जिसका वजन लगभग 1200 किलो है. बताया जाता है कि 23 दिसंबर 1902 को गामा ने 1200 किलो के इस पत्थर को गामा पहलवान ने उठा लिया था.
गामा पहलवान का अंतिम समय (Gama Pehalwan’s last time)

विभाजन से पहले गामा पहलवान अमृतसर में ही रहा करते थे लेकिन सांप्रदायिक तनाव बढ़ने के कारण वे लाहौर रहने चले गए. गामा पहलवान ने अपने जीवन की आखिरी कुश्ती 1927 में स्वीडन के पहलवान जेस पीटरसन से लड़ी थी. उन्होंने अपनी जीवन में 50 से अधिक कुश्ती लड़ी थीं और एक को भी नहीं हारा.

कुश्ती छोड़ने के बाद उन्हें अस्थमा और हृदय रोग की शिकायत हुई और उनकी हालत खराब होती गई. बताया जाता है कि उनके पास इतनी आर्थिक तंगी आ गई थी कि आखिरी समय में उन्हें अपनी मेडल तक बेचना पड़े थे. लंबी बीमारी के बाद आखिरकार 1960 में 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया.

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