Ketu sinful planet

केतू – पापी ग्रह , बहूरंग( चित्रविचित्र ), आयु – 100 वर्ष , 44 वर्ष में अपना विशेष फल देने वाला / निवास – घर का कोना स्थान / कारक – नाना, मोक्ष, ऊंचाई से गिरना, शरीर पर दाग, Ketu sinful planet

?केतु के गुण दोष प्रायः मंगल के समान होते हैं । केतु भी मंगल की भांति अपने युति तथा दृष्टि के प्रभाव में आने वाले पदार्थों को चोट अथवा क्षति पहुंचाता है । राहु के सामान केतु भी अचानक फल देता है । मंगल की भांति यह भी बुद्धि एवं प्रभाव में तीव्र होता है । केतु शब्द का अर्थ वेद आदि ग्रंथों में झंडे के अर्थ में आया है अर्थात ऊंचाई क, उच्चता का , महानता के प्राचुर्य का , उत्कृष्टता का प्रतीक है । अतः केतु भी अपने भीतर उत्कृष्टता आदि गुण रखता है । केतु ने एक विशेष गुण यह है कि किसी स्वक्षेत्री ग्रह के साथ जब विराजमान होता है तो उसके फल में विशेष वृद्धि करता है । राहु से सर्वदा उल्टा होने से केतु में शुभता के कारण मोक्ष का कारक माना गया है। केतु को भले ही शुभ ग्रह माना जाए परंतु इसपर राहु की दृष्टि भी होती है जिसके कारण राहु का प्रभाव भी समाहित हो जाता है । केतु की दृष्टि जहां भी पड़ती है चोट लगने की या आग लगने की संभावना भी रहती है ( यदि इसके साथ सूर्य एवं मंगल की भी युति हो तो )।
?राहु की भांति केतु कभी पीड़ित नहीं होता बल्कि यह सभी ग्रहों को पीड़ित करता है या दूसरे ग्रहों के साथ युति बना कर उनके अंदर चोट लगने एवं आग लगने की संभावनाओं को बढ़ा देता है । केतु के द्वारा व्यक्ति को हमेशा ही बुरे फल प्राप्त नहीं होता है । केतु ग्रह के द्वारा व्यक्ति को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। यह आध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक आदि का कारक होता है।

?केतु के प्रभाव वाले व्यक्तियों में में मंगल से संबंधित गुण होते हैं । ऐसी भक्ति में धैर्य की कमी होते हैं । मन एकाग्र नहीं रहता है । स्वभाव उग्र होता है । यदि अपने कार्य के या योजना के बारे में किसी को पहले बता देते हैं तब वह कार्य बिगड़ जाता है और सफलता प्राप्त नहीं होती है । ऐसे व्यक्तियों के शरीर या चेहरे पर चोट के या किसी प्रकार के निशान होते हैं ।

♦️केतु से संबंधित बीमारियां – चर्म रोग , फोड़े फुंशी , कुष्ट रोग , त्वचा रोग , आग से दुर्घटना , ऊंचाई से गिरना , शरीर पर चोट के निशान या दाग , मशीन से दुर्घटना , कुत्ता काटना इत्यादि ।

?फलादेश के हिसाब से केतु यदि समस्या उत्पन्न कर रहा हो तो दान एवं उपाय करना चाहिए ।( मंगलवार या शनिवार को कुष्ठ रोगी या सफाईकर्मी को ) मंत्र – ।। ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः ।। दान – चितकबरा कंबल , भूरा वस्त्र , सतनाजा , नारियल , काला – सफेद तिल , तिल का तेल , बकरा इत्यादि ।
उपाय – असगंध की जड़ धारण करें । काले एवं सफेद तिल के लड्डू गणेश जी को चढ़ा कर बांटें । कुत्ते को दूध एवं ब्रेड खिलाएं , प्रतिदिन कुत्ते को रोटी खिलाएं । सतनाजे की रोटी कुत्ते को खिलाएं ।

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