सेवाधर्म का निर्वहन प्रत्येक नागरिक का दायित्व- प्रो. त्रिपाठी
राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस मनाया गया
सेवाधर्म का निर्वहन प्रत्येक नागरिक का दायित्व- प्रो. त्रिपाठी
राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस मनाया गया
फोटो सं. 3 व 4: केप्शन: लाडनूं में एनएसएस दिवस पर सम्बोधित करते वक्ता एवं उपस्थित एनएसएस स्व्यंसेविकाएं।
लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में एनएसएस का स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सहायक आचार्य डॉ. बलबीर सिंह ने राष्ट्रीय सेवा योजना के उद्भव तथा उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसकी स्थापना 24 सितम्बर, 1969 को की गई, जिसका मुख्य उदे्श्य राष्ट्र के प्रमुख युवाओं में सेवा व अनुशासन के गुणों का सृजन करना है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि सेवा का कार्य एक धर्म है, जिसका निर्वाह करना प्रत्येक नागरिक का नैतिक दायित्व है। उन्होंने मदर टेरेसा का उदाहरण एक समाजसेवी के रूप में प्रस्तुत किया और स्वयंसेविकाओं को उनसे प्रेरणा लेने का संदेश दिया। विशिष्ट अतिथि शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने बताया कि सेवा की भावना मन से होनी चाहिए, दिखावे के रूप में नहीं। उन्होंने यह भी बताया कि यह कार्यक्रम ऐसा माध्यम है, जो हमंे राष्ट्रसेवक व परोपकारी बनाने के सहायक बनाता है। स्वयंसेविका अभिलाषा, हर्षिता, साक्षी, टीना, मंजू आदि ने भी कविता एवं गीत के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति की। कार्यक्रम में द्वितीय इकाई के प्रभारी डॉ. रविन्द्र सिहं राठौड़ ने आभार ज्ञापित किया। प्रथम इकाई के प्रभारी डॉ. आभा सिंह ने कार्यक्रम का संयोजन किया एवं स्वयंसेविकाओं को वर्षभर होने वाले कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी।
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