स्वास्थ्य से आनंद की ओर झरने में आपका स्वागत है
प्यारे मित्रों आज से हम प्रारंभ कर रहे हैं योग की एक सीरीज जो आपके तन, मन और आत्मा में सुख शांति एवं आनंद को पल्लवित एवं सुरभित करने में मदद करेगा।
Yoga is the only way to work together on all three levels – physical, mental and spiritual Yogacharya Dhakaram
अक्सर प्रश्न उठता है, योग हमारे जीवन में क्यों एवं कितना महत्वपूर्ण है ?
मित्रों, वर्तमान में आम जनमानस में योग के बारे में अनेक भ्रांतियां फैली है अतः हम सर्वप्रथम स्पष्ट करना चाहेंगे की योग का मतलब सिर्फ शरीर को विभिन्न मुद्राओं एवं आकृतियों में तोड़ना, मरोड़ना मात्र नहीं है।
योग का मतलब परम आनंद है और इसका प्रारंभ योग पथ पर अग्रणी किसी अनुभवी विशेषज्ञ एवं आचार्य के मार्गदर्शन में विधि विधान से किया जाना चाहिए।
प्रिय आत्मन, हम जीवन में जो भी कार्य करते हैं सुख शांति और आनंद के लिए करते हैं, हम यह आनन्द दूसरों में ढूंढते हैं परंतु यह भी सत्य है कि ये आनंद हमें दूसरा अन्य कोई दे नहीं सकता, अब प्रश्न यह उठेगा की सुख शांति और आनंद कहां और कैसे ढूंढा जाए ? बस इसी दिशा में हम इस सीरीज में आप पाठकों से आगे संवाद जारी रखेंगे।
जब हम स्कूली शिक्षा में साधारणतया योग की बात करते हैं तो योग का साधारणतया मतलब होता है जोड़ना, एक और एक को जोड़ते हैं तो दो होता है। अगर हम शास्त्रों के अनुसार अथवा आध्यात्म के क्षेत्र में बात करते हैं तो आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है।
अगर एक साधारण आदमी को हम बोले कि आइए मैं आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता हूं तो हो अधिकांश व्यक्ति इतनी जल्दी ना आए तो आइए इसे थोड़ा सरल करते हैं, आत्मा से पहले शरीर और मन से मुलाकात कर लेते है, आजकल के भाग दौड़ के जीवन में अधिकांश व्यक्ति शरीर से भी ज्यादा मानसिक परेशान है, तनाव के साथ जिंदगी जी रहे हैं। योग ही एकमात्र ऐसी विधि है जो शरीर एवं मन की साधना अर्थात उनके स्वास्थ्य के साथ आध्यात्मिक विकास में करता है।
जिम जाकर एक्सरसाइज करना, तैराकी करना और मॉर्निंग वाक डांस aerobics zumba करने जैसे प्रयास शारीरिक स्तर पर एक सीमित समय तक मदद करते हैं परंतु साथ ही ध्यान रहे मात्र शारीरिक स्तर पर ही स्वस्थ होना संपूर्ण स्वास्थ्य नहीं है। वर्तमान समय में अधिकांश जन शरीर से अधिक मन से परेशान एवं दुखी है, अधिकांश बीमारियां मन के रास्ते होकर ही ती है अतः मानसिक स्तर के साथ-साथ प्राणों पर भी काम करना होगा।
पल-पल में मन का भटकाव एवं विचलन अस्वस्थ होने का प्रतीक है, स्वस्थ रखने के लिए मन की शांति एवं साधना आवश्यक है इसके लिए नियमित प्राणायाम की आवश्यकता है। श्वास जितना अधिक लंबा और गहरा होगा मन उतना ही स्वस्थ एवं शांत हो प्रसन्न और खुशनुमा रहेगा। जब हम योग करते हैं तो उसमें आसान, क्रियाएं, प्राणायाम और ध्यान के विभिन्न आयाम है।
है। आपने देखा होगा कोरोना कल में डॉक्टरो ने भी योग को स्वीकार करते हुए इसे करने के सुझाव दिए। 21 जून को पूरे दुनिया में 193 देशों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया है। इस संबंध में हमारा कहना है कि क्यों ना अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तरह हम सब हर दिन योग करे। प्रत्येक व्यक्ति को यह निर्णय लेना चाहिए कि मैं जब तक योग नहीं करूंगा तो ना नाश्ता लूंगा और ना ही खाना खाऊंगा। जब इस तरह से हम सब प्रतिबद्धता के साथ योग से जुड़ेंगे तब हमारा जीवन स्वास्थ्य के साथ मुस्कुराहट के साथ खुशनुमा एवं आनंदमय होगा। इसलिए मैंने एक किताब लिखी “एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर”। यदि हम नियमित एक से डेढ़ घंटा अपने शरीर को देते हैं तो हमारे शेष 22.30 घंटे बहुत खूबसूरत होते हैं। तो प्यारे मित्रों एक से डेढ़ घंटा देना चाहिए या नहीं देना चाहिए ? अपने अंदर झांक कर देखिए। क्या आपको 22.30 घंटे खुशनुमा नहीं चाहिए? इसलिए हम यह सीरीज शुरू करने जा रहे हैं ताकि आप लोग घर पर बैठकर नियमित योग की साधना कर पाएं । अपने आप को शारीरिक शक्ति दे, मानसिक शक्ति देकर आध्यात्मिक विकास की और बढ़े, एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर मै आप सभी का मुस्कुराता हुआ अभिनंदन… आइए योग पथ पर सहयोग के साथ आगे बढ़े।