समस्थिति का अर्थ है, इस प्रकार खड़ा होना जिससे शरीर का भार दोनों एडि़यों व पंजों पर समान रूप से वितरित हो। विधि- खड़े रहने का सही तरीका समस्थिति है ओर केवल इस तरीके को अपनाने मात्र से, विशेष रूप से, पैरों से लेकर कमर तक की कई समस्याऐं दूर हो सकती है। ज्यादातर लोग खड़े होने की सही स्थिति पर ध्यान नहीं देते हैं। कोई एड़ी के बल, कोई पंजों पर, कोई दांये तो कोई बांये पैर पर ओर कोई पैर धुमाकर खड़े होते हैं, जो कि सही नहीं है। इस प्रकार असन्तुलित तरीके से खड़े होने के कारण रीढ का लचीलापन कम होता है। एड़ी, पिण्डली व घुटनों में दर्द भी हो सकता है। एड़ी पर ज्यादा वजन देकर खड़े रहने से नितम्ब ढीले हो जाते हैं और पेट आगे आ जाता है। लगातार इस प्रकार खड़े रहने पर रीढ पर दबाब बनता है और हम जल्दी थकान महसूस करने लगते हैं साथ ही हमारा मन सुस्त हो जाता है। ज्यादातर लोग जब खड़े होते हैं तो एड़ी थोडी अन्दर की तरफ ओर पंजे थोडा बाहर फैलाकर एक ष्अष् की आकृति बनाते हुये खड़े होते हैं जबकि सही तरीका एड़ी पंजों को सीधा रखकर अर्थात् ‘‘।।’’ की आकृति बनाकर एड़ी व पंजों पर समान भार देकर खड़ा होना है। ष्अष् शेप बनाते हुये खडे होने की आदत को सुधारने के लिये हमें शुरूआत में इससे उल्टा यानिष्‘ष् शेप बनाते हुये (अर्थात् पंजे अन्दर और एड़ी थोड़ी बाहर) खड़े होना चाहिये। इस स्थिति में शरीर का भार समान रूप से एडियों व पंजों पर बंट जाता है व नितम्ब तन जाते हैं। पेट अन्दर खिंचकर सीना बाहर आ जाता है और रीढ सीधी हो जाती है जिसके कारण तन व मन में स्फुर्ति आ जाती है। ध्यान रखें, जिस प्रकार चार पहियों की गाडी के पहियों का सन्तुलन (व्हील एलायमेंट) सही नहीं होने पर ना केवल गाडी असन्तुलित होकर चलती है बल्कि टायर भी जल्दी घिसते हैं और दुर्धटना का खतरा भी बढ जाता है। इसी प्रकार शरीर का भार दोनों पैरों की एडियों व पंजों पर सन्तुलित रूप से नहीं रहने पर शरीर का एलायमेंट बिगड कर विभिन्न तकलीफें उत्पन्न होती है। अतः खड़े होने का सही तरीका अपनाकर अच्छे स्वास्थ्य की तरफ अपना पहला कदम बढायें।