आज हम सीखेंगे पाद प्रसार कटि चक्र क्रिया। यह क्रिया हमारे मेरुदंड, पाचन तंत्र और पार्श्व भाग में जमे हुए वसा को कम करने के लिए बहुत ही फायदेमंद है।
This activity is very beneficial for reducing the accumulated fat in our spine, digestive system and flanks.
दोनों पैरों को फैला लें। दाहिने पैर को दाहिनी तरफ और बाएं पैर को बाएं तरफ फैलाएं। अपनी क्षमता के अनुसार फैलाएं।
हाथों को बगल से धीरे-धीरे अपने कंधे के बराबर उठाएं। हाथों को अच्छी तरह तानें। दाहिने हाथ को दाहिनी तरफ और बाएं हाथ को बाएं तरफ खींचें।
धीरे-धीरे अपने शरीर को दाहिनी तरफ मोड़ते हुए और बाएं हाथ से दाहिने पैर को बाहर की तरफ से पकड़े। अपनी कमर को सीधा रखते हुए अपने दाहिने हाथ को पीछे ले जाएं। आपकी कमर सीधी रहेगी और दोनों हाथ एक सीध में रहेंगे।
स्वास छोड़ते हुए जितना अपने शरीर को मरोड़ सकते हैं, दाहिने तरफ मरोड़ें। लगभग 20 सेकंड रुकें।
धीरे-धीरे वापस बीच में आ जाएं।
अब दूसरी तरफ अपने शरीर को मोड़ते हुए अपने दाहिने हाथ से बाएं पैर को पकड़ें। अपने मेरुदंड को सीधा रखते हुए बाएं हाथ को कंधे के बराबर ले जाते हुए धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए शरीर को बाई तरफ मरोड़ने का प्रयास करें। लगभग बीस सेकंड बाई तरफ रहने के बाद धीरे-धीरे वापस सामान्य अवस्था में आ जाएं।
इसी तरह दाहिनी और बाएं तरफ इस क्रिया को छह बार करें।
हाथों को फैलाते हुए सामान्य अवस्था में वापस आएं।
दंडासन में विश्राम करें।
आंखें बंद करें और लंबी गहरी सांस लें।
इस क्रिया करने के पहले और करने के बाद अपने शरीर में क्या परिवर्तन हुआ है, उसे महसूस करें।
धीरे से आंखें खोलें।
विशेष
यह क्रिया एक तरफ कम से कम तीन बार, यानी छह बार करनी है।
एक तरफ जब हम करते हैं तो हमें कम से कम 20 सेकंड तक रहना है।
इस क्रिया को करने में हमें लगभग 3 मिनट लगते हैं।
लाभ
कमर और मेरुदंड में मरोड़ से हमारा मेरुदंड लचीला बन जाता है।
कमर दर्द ठीक होता है।
यकृत, अग्नाशय और किडनी का मसाज होता है।
सावधानियां
गर्भावस्था, हर्निया, अल्सर और माहवारी के दौरान यह क्रिया नहीं करनी चाहिए।
निष्कर्ष
पाद प्रसार कटि चक्र क्रिया एक बहुत ही फायदेमंद क्रिया है। यह क्रिया करने से हमारा मेरुदंड लचीला होता है, कमर दर्द ठीक होता है, और पाचन तंत्र दुरुस्त होता है। इस क्रिया को करते समय ध्यान रखें कि आपकी कमर सीधी रहे और आप अपने शरीर पर ध्यान केंद्रित करें।