The teacher should develop his multi-dimensional personality

The teacher should develop his multi-dimensional personality- शिक्षक को अपने बहुआयामी व्यक्तित्व का विकास करना चाहिए- प्रो. जैन

शिक्षक को अपने बहुआयामी व्यक्तित्व का विकास करना चाहिए- प्रो. जैन
पांच दिवसीय शिक्षा पर्व में परिचर्चा, संगोष्ठी व वृतचित्र प्रदर्शन
फोटो सं. 1 व 2: केप्शन: लाडनूं में पांच दिवसीय शिक्षा पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते हुए प्रशिक्षणार्थी एवं परिचर्चा में विचार रखते हुए छात्राएं।
लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में आयोजित पैनल परिचर्चा के दौरान विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में अनेक परिवर्तन हो रहे हैं। एक शिक्षक को पाठ्यचर्या, शिक्षण तिथि, तकनीकी प्रयोग, कौशल शिक्षा, बहुभाषिता के संदर्भ में नवीन आयामो में दक्षता प्राप्त करनी होगी। वे शिक्षा पर्व के उपलक्ष में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने सभी प्रशिक्षणार्थियों को शिक्षक के व्यावसायिक विकास के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि एक शिक्षक को बहुआयामी व्यक्तित्व का विकास करना चाहिए। आधुनिकता के दौर में संप्रेषण दक्षता, कौशल विकास तथा तकनीकी का ज्ञान एक शिक्षक के लिये आवश्यक है। पहले स्वयं के विकास के साथ ही शिक्षक राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकता है। पैनल परिचर्या ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति: शिक्षक हेतु नवीन चुनौतियां’ विषय पर प्रशिक्षणार्थियों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये तथा शिक्षक के संबंध में नवीन चुनौतियों पर परिचर्चा की। इनमें नितेश जांगिड़, कंचन, मलीचा मिश्रा, ऐश्वर्या सोनी, हंसा कंवर, पूनम, उर्मिला प्रमुख थे।
दो डोक्यूमेट्री दिखा कर भारतीय ज्ञानतंत्र बताया
इससे पूर्व इस पंचदिवसीय ‘शिक्षक पर्व’ में ‘भारतीय ज्ञान तंत्र में शिक्षकों की भूमिका’ पर आधारित दो डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। इन वृत्तचित्रों का समस्त प्रशिक्षणार्थियों ने अवलोकन करते हुए भारत के प्रमुख दस विश्वविद्या तयों तथा प्रमुख प्राचीन वैज्ञानिकों के योगदान के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस सम्बंध में प्रो. बीएल जैन ने कहा कि देश की प्राचीन ज्ञान परंपरा विशिष्ट, अनुकरणीय तथा विशाल रही है, जिसके प्रमुख संवाहक कालिदास, भवभूति, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, प्रममुप्त, महर्षि अगस्त्य, कणाद एवं पतंजलि जैसे प्रमुख ज्ञान भट्ट रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति आधुनिक काल में भी प्राचीन ऋषि परंपरा के वैश्विक योगदान तथा शोधपरक चिंतन की जानकारी पर बल देती है। डॉ. भावाग्राही प्रधान ने आधुनिक सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी के संसाधनों, ई-लर्निंग, ई-पुस्तकालय, लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम आदि की जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में डॉ. अमिता जैन, डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. गिरधारीलाल शर्मा, प्रमोद ओला, डॉ. अजित पाठक डॉ. सरोज राय, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरधारीलाल शर्मा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन तथा आभार ज्ञापन समन्वयक डॉ. गिरिराज भोजक ने किया।
प्राचीन भारतीय शैक्षिक मूल्य व वैश्विक बाजारवाद पर परिचर्चा
जैविभा के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में इन पांच दिवसीय कार्यक्रमों की श्रंखला में गुरु- शिष्य संबंध पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। अतिथि वक्ता के रूप में छात्राओं ने भारतीय संस्कृति की गुरु-शिष्य परंपरा की महानता को उजागर किया। साथ ही उन्होंने वैश्वीकरण और बाजारवाद से शैक्षिक मूल्यों में आए परिवर्तनों को भी उल्लेखित किया। परिचर्चा में छात्राओं ने शिक्षण की विभिन्न विधियों की उपयोगिता और ऑनलाइन एजुकेशन की कमियों में सुधार की गुंजाइश पर भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने सभ्यता, तकनीकी सुभीतों एवं भारतीय संस्कृति के मध्य समन्वयकारी सोच को एक भारत, श्रेष्ठ भारत की नीति का पोषक बताया। अंत में कार्यक्रम के सह संयोजक प्रेयस सोनी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। इस दौरान संयोजक अभिषेक चारण, डॉ. प्रगति भटनागर, डॉ. बलबीर सिंह, अभिषेक शर्मा, श्वेता खटेड़़, प्रगति चौरड़िया, देशना चारण, तनिष्का शर्मा आदि मौजूद रहे। परिचर्चा का संचालन छात्रा तेजस्विनी शर्मा द्वारा किया गया।
हिन्दी भाषा में समसामयिक विषयों की प्रस्ुतति पर संगोष्ठी
कार्यक्रम-श्रंखला में ‘विभिन्न समसामयिक समस्याओं की हिंदी भाषा में प्रस्तुति’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें नारी शिक्षा का महत्व, साइबर क्राइम, नशामुक्ति की अवधारणा, कन्या भ्रुण हत्या, महिला अपराधों में हुई बढ़ोतरी, स्वच्छ-भारत अभियान की महत्ता, संसाधनों का अतिशय प्रयोग हानिकारक, मतदाता जागरूकता अभियान की महत्ता, भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों का महत्व आदि उप विषयों पर छात्राओं निकिता चौधरी, कोमल मुंडेल, खुशी जोधा, तेजस्विनी, ममता गोरा, हेमपुष्पा चौधरी, अभिलाषा स्वामी, प्रियंका सोनी, सीमा स्वामी, संतोष ठोलिया, कांता सोनी एवं प्रियंका स्वामी आदि ने अपने विचार रखे। अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने भी विचार प्रकट किए। अंत में डॉ. बलवीर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में संयोजक अभिषेक चारण एवं सह-संयोजक प्रेयस सोनी के अलावा डॉ. प्रगति भटनागर, अभिषेक शर्मा, श्वेता खटेड़़, देशना चारण, तनिष्का शर्मा आदि मौजूद रहे।

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