Shiv surrounded by Palm trees called 'Tadkeshwar Mahadev'

Shiv surrounded by Palm trees called ‘Tadkeshwar Mahadev’ ताड़ के वृक्ष होने से कहलाए ‘ताडक़ेश्वर महादेव

? *धर्म यात्रा में आज * *??

?ताड़ के वृक्ष होने से कहलाए ‘ताडक़ेश्वर महादेव* ?

*जयपुर //हेमन्त व्यास

जयपुर के चौड़ा रास्ता के ताडक़ेश्वर महादेव श्मशान की भूमि पर थे। मान्यता तो यह है कि एक बार
अम्बिकेश्वर महादेव मंदिर के व्यास सांगानेर जाते वक्त यहां पर रुके थे और सबसे पहले उन्होंने यह शिवलिंग देखा था।
जयपुर शहर की स्थापना (18 नवम्बर, 1727) से पहले बाबा ताडकऩाथ थे।
ताड़ के वृक्ष होने की वजह से ताडक़ेश्वर महादेव कहलाए। जयपुर स्थापना के समय मंदिर को रूप दिया गया। ।

मान्यता: किसी भक्त की जब मनोकामना पूरी हो जाती है तो वह यहां आकर 51 किलो दूध—घी से जलेहरी भरता है।

हालही यूनेस्को ने जयपुर शहर को विश्वधरोहर की लिस्ट में शामिल किया है। इससे आप समझ सकते हैं कि यहां कितना कुछ ऐसा है, जिसे सहेजकर रखने की जरूरत है। इन्हीं धरोहरों में सम्मिलित है भगवान शिव को समर्पित ताड़केश्वर महादेव का मंदिर।

इस मंदिर की स्थापत्य कला में राजस्थानी स्थापत्य और स्थानीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।

अपनी स्थापना के समय जयपुर का नाम जैपर था, जो कालांतर में जयपुर हो गया। कहा जाता है कि जयपुर की स्थापना से पहले से ही यहां शिवलिंग स्थापित है।

  • ऐसे हुआ मंदिर का निर्माण*

ताड़केश्वर महादेव मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण जयपुर शहर की स्थापना के समय ही हुआ है। इससे पहले यहां छोटा-सा मंदिर स्वयंभू शिवलिंग के लिए बनाया गया था। जयपुर रिसायत से वास्तुविद विद्याधर जी ने ही इस मंदिर की रूपरेखा तैयार की।

 स्वयंभू है यहां का शिवलिंग 

जानकारी के अनुसार, ताड़केश्वर महादेव मंदिर को पहले ताड़कनाथ के नाम से जाना जाता था। कहा जाता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है। यानी स्वत: प्रकट हुए हैं। इनकी किसी ने स्थापना नहीं
की है।
ताड़केश्वर महादेव के प्रति जयपुर वासियों में गहरी आस्था है। माना जाता है कि सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद यहां पूरी होती है। इच्छा पूरी होने के बाद भक्त यहां शिवलिंग का अभिषेक कराते हैं या श्रद्धानुसार दूध और घी से शिवजी की जलहरी भरते हैं।

इस शिव मंदिर में वैसे तो वर्षभर भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन सावन के महीने में और शिव रात्री पर शिवलिंग पर जल अर्पित करने के लिए यहां लंबी कतारें लगती हैं। सावन के सोमवार को तो तड़के तीन बजे से आकर भक्त लाइन लग जाते हैं। ताकि मंदिर खुलने पर शिवलिंग का अभिषेक कर सकें।

Shiv surrounded by Palm trees called ‘Tadkeshwar Mahadev’

Shiv surrounded by Palm trees called ‘Tadkeshwar Mahadev’ written Courtsy by Hemant Vyas

हेमन्त व्यास

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