Shirshasana - Very beneficial, increase of blood circulation in the brain

शीर्षासन-अत्यन्त लाभकारी,मस्तिष्क में रक्त संचार की वृद्धि, मस्तिष्क संबंधी रोग, स्मरण शक्ति का विकास, बालों का पकना, झडना, साईनस आदि।Shirshasana – Very beneficial, increase of blood circulation in the brain, neurological diseases, development of memory power, hair growth, fall, sinus etc.

शीर्षासन
अर्थ-
सिर (शीर्ष) के बल खड़े रहने के कारण इस आसन का नाम शीर्षासन है। जिस तरह मुखिया के बगैर घर अधूरा होता है, उसी तरह शीर्षासन के बिना योगाभ्यास अधूरा होता है। इसी लिऐ इसे आसनों का राजा कहा जाता है।
विधि-
पंजों एवं घुटनों के बल बैठ जाइयें। दोनों हाथों की अंगुलियाॅं आपस में फंसाकर, दोनों कोहनियों एवं फंसे हुये पंजों से एक त्रिकोण सा बनाते हुये हाथों को सामने बिछी कम्बल (या दरी) पर रख दें। इस स्थिति में पंजे खड़े रहेंगे (छोटी अंगुलिया फर्श को छूते हुये और अंगुठे उपर की ओर)। आगे की ओर झुककर अपने सिर का मध्य भाग दोनों पंजों (फंसे हुये) के बीच कम्बल (या दरी) पर रख दें। अपने पैरों को कूल्हों से पंजों तक सीधा तान दें। अब अपने पैरों को धीरे-धीरे शरीर के करीब लायें और घड़ (सिर से कुल्हों तक) को जमीन से लम्बवत् (90 डिग्री) हो जाने दें। सिर को हथेलियों के सहारे मजबूती से जमाकर पैरों के पंजों को जमीन से उठाने का प्रयास करें। अभ्यास करने पर कुछ समय बाद पैर उठने लगेंगे। पैर उठने पर जांधंे व घुटने छाती से
लग जायेंगे। अब सन्तुलन साधते हुये कुल्हों से घुटनों तक के पैरों को उपर की ओर सीधा कर दें। घुटने मुडे
हुये ही रहेंगे। सिर से घुटनों तक सीधा हो जाने के बाद घुटनों को सीधा करते हुये पैरों को उपर तान दें। इस प्रकार आपका पुरा शरीर सिर के बल जमीन से लम्बवत् (90 डिग्री) की स्थिति में आ जायेंगा। यह पूर्णत्व की स्थिति है। इस स्थिति में अपनी क्षमतानुसार 5 से 10 मिनट तक रूककर पहले घुटनों को मोडें़ फिर कुल्हों से
मोडते हुये पैरों को पेट की तरफ लायें। पैरों को जमीन पर टिकाकर सीधा करने के बाद घुटनों को जमीन पर टिका दें। सिर को हल्का सा उठाकर, ललाट को पंजों पर रख, कुछ पल विश्राम करें। अब सीधे होकर बैठ जायें। शवासन में लेटकर 1-2 मिनट विश्राम करें।

  1. कम्बल पर त्रिकोणी स्थिति में रखे हाथों की स्थिति में कोहनियों के बीच की दूरी कंधे के चैडाई के बराबर रखे अर्थात् कंधा और कोहनी एक लाईन में होने चाहिये। साथ ही कंधों को ज्यादा से ज्यादा ऊंचा उठाने का प्रयास करें।
    विशेष निर्देश-
  2. शुरूआत में (नये साधक) इस आसन का अभ्यास दीवार का सहारा लेकर करना सुरक्षित रहता है। दीवार का सहारा लेने से गिरने व चोट लगने से बचाव रहता है। दो दीवारों के कोने में अभ्यास करना अधिकतम सुरक्षित है।
  3. अभ्यास करते समय दोहरा तिहरा करके कम्बल या दरी बिछाकर हाथों व सिर को उसी पर टिकायें। तकिये का इस्तेमाल नहीं करें। जरूरी है कि सिर के नीचे का टिकाव स्थिर व हल्का मुलायम रहे। बिना सहारे के (दरी/कम्बल) करने पर सिर, गर्दन, पीठ आदि में दर्द हो सकता है व सिर में चोट की
    संभावना रहती है। अतः दरी, कम्बल या मोटा तौलिया आदि का इस्तेमाल अवश्य करें।
  4. शीर्षासन करते समय सिर का वह भाग (मध्य भाग) जमीन पर रखें जहां से रीढ को सीधा रखा जा सकें।
  5. पैरों को झटके से उपर नहीं उठायें। नियमित अभ्यास से यह आसानी से उपर उठने लगेंगे।
  6. गर्दन में किसी प्रकार की तकलीफ वाले लोग एवं शीर्षासन करने पर जिनके गर्दन पर दबाब आता है ऐसे लोग शीर्षासन का अभ्यास नहीं करें।
    लाभ-
    जिस प्रकार से राजा के कर्तव्य और अधिकार असीमित होते है वैसे ही शीर्षासन के लाभ असीमित है फिर भी जानकारी हेतु कुछ विशेष लाभ बता रहे है।
  7. मस्तिष्क में रक्त संचार की वृद्धि, मस्तिष्क संबंधी रोग, स्मरण शक्ति का विकास, बालों का पकना, झडना, साईनस आदि।
  8. स्नायु केन्द्रों को दृढ बनाता है एवं सभी अन्तः स्त्रावी ग्रन्थियों को स्वस्थ कर हारमोनल डिस आर्डर को ठीक करता है।
  9. पाचन तन्त्र, रक्त विकार, मासिक धर्म विकार, जननेन्द्रियों से सम्बन्धित समस्त रोग, मधुमेह आदि में अत्यन्त लाभकारी है।
    सावधानी-
  10. ऐसे व्यक्ति जिन्हें उच्च रक्तचाप, अस्थमा, आंॅख दर्द, कान में दर्द, सर्वाइकल/मिर्गी रोग या हृदय रोग हो वे इस आसन को कदापि नहीं करें।
  11. शीर्षासन में पुर्णत्व की स्थिति तक आने एवं पुर्णत्व से वापस लौटने की समस्त क्रिया एकदम धीरे-धीरे (इंच-इंच कर) पूरी सजगता से अपने शरीर व मन को देखते हुये करें।
  12. शीर्षासन करने के तुरन्त बाद शवासन अवश्य करें अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है।
    (ढाकाराम)
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Shirshasana – Very beneficial, increase of blood circulation in the brain

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