कला के बेताज बादशाह - पद्मश्री तिलक गीताई The Padmashree Tilak Geeta

Padmashree Tilak Geetai कला के बेताज बादशाह – पद्मश्री तिलक गीताई

कला के बेताज बादशाह – पद्मश्री तिलक गीताई

मैं आज ऐसी हस्ती के बारे में बताने जा रही हूं जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं ।
सरस्वती पुत्र पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त श्री तिलक गीताई जी को कला की दुनिया का जादूगर और बेताज बादशाह कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ।
शिल्प कला , मूर्ति कला , चित्र कला , धातु पर नक्काशी ,कला की हर विधा में इन्हें बेजोड़ महारत हासिल है।
तिलक गीताई जी को कला तो विरासत में ही मिली है ।इनके पिता श्री रामगोपाल जी अग्रवाल बीकानेर महाराजा के उस्ताद कारीगर व राजस्थान कला मंदिर जयपुर के संस्थापक भी थे ,वहीं इनके दादाजी गुलाब चंद्र जी अग्रवाल प्रसिद्ध संगीतकार ,गायक और कत्थक डांसर थे ।
ऐसे परिवार में जन्मे श्री तिलक गीताई जी भला कला से कैसे दूर रह सकते थे । इन्होंने उसी कला को अपनी कल्पना और सृजनात्मकता से और भी ज्यादा निखार दिया है।
बचपन से ही चित्रकारी के शौकीन तिलक गीताई जी ने आर्थिक तंगी को भी अपने शौक पर हावी नहीं होने दिया और कला के क्षेत्र में नये नये आयाम गढ़े।
इनके नाम के साथ जुड़े ‘ गीताई ‘ के पीछे भी एक अनोखी कहानी है । एक छोटे से चावल के दाने पर भगवद्गीता लिखने के कारण लोग इन्हें ‘गीताई ‘ कहने लगे ।
तिलक गीताई जी आगे बताते हैं कि चावल पर कीड़े लग जाते हैं इसलिये उन्होंने हाथी दांत पर चित्रकारी करनी शुरू की और तिल के बराबर के एक हाथी दांत पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी का पोट्रेट बनाकर 1984 में उन्हें भेंट किया ।
भारत के पांच सौ वर्षों के इतिहास में ये अकेले ऐसे चित्रकार हैं जिन्होंने रागों (सुरों )को रंगों और चित्रों के साथ जोड़ा ।इस प्राचीन ‘रागमाला’ चित्रकारी पर अनेकों प्रयोग किये और 36 राग- रागिनियों की श्रृंखला बनायी ‘रागमाला द मिसिंग लिंक’ जो विदेशों में बहुत ही लोकप्रिय हुई है । यह मैलोडी पेंटिंग्स हैं जिसके माध्यम से इन्होंने सिद्ध किया कि चित्रों में से राग निकलते हैं । इनके द्वारा की गयी यह एक ऐसी अनूठी खोज है जो आने वाले अनेकों वर्षों तक भविष्य के चित्रकारों को आकर्षित करती रहेगी।
वहीं दक्षिण भारत की तंजौर पेंटिंग पर भी अपनी शैली में बारीकी से काम कर उसे रियल गोल्ड से एम्बोस किया जिसे आज जयपुर तंजौर के रूप में जाना जाता है । इन्होंने भारत की हर संस्कृति चाहे मुगल हो , राजस्थानी या पहाड़ी, सभी में अपनी कूंची से रंग भरकर उसे और भी खूबसूरत बना दिया।
इनकी कला के कद्रदान हर जगह हैं और इनकी बनायी कृतियों की प्रदर्शिनियां भारत के अलावा जर्मनी , जापान , लंदन , स्विट्जरलैंड और अमेरिका तक में भी लग चुकी हैं । अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भी इनकी कला के मुरीद रहे हैं और भारत दौरे पर इनसे मिले बिना नहीं गये ।
बहत्तर साल की इस उम्र में भी तिलक गीताई जी उसी ऊर्जा और जोश के साथ अपने इस शौक को जीवन्त बनाये हुये हैं ।आज भी वह अपने ही बनाये
रंगों और ब्रश से चित्रकारी करना पसंद करते हैं व अपने दादा और परदादाओं के सहेज कर रखे रीयल गोल्ड , सिल्वर लीफ , मिनरल और हर्ब्स को मिलाकर व कूटकर तरह -तरह के रंग बनाते हैं ।
शिल्प की चालीस वर्षों की इस अनोखी यात्रा में ये देश विदेश के हजारों बच्चों को शिक्षित कर चुके हैं और आज कुछ शोधार्थी इनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर शोध भी कर रहे हैं ।
लॉकडाउन के दौरान इन्होने हिन्दुस्तान की मोनालिसा कही जाने वाली बणी ठणी को भी नये अंदाज में प्रस्तुत किया और कोरोना से बचने का संदेश दिया ।एक पेंटिंग में बणी ठणी को मास्क के साथ दिखाया
तो दूसरी पेंटिंग में वेक्सिन लगवाते हुये दिखाया गया।
तिलक गीताई जी की रंगों की यह यात्रा यहीं खत्म नहीं होती । इन्हें टूटे और बिगड़े हुये पुरानी मूर्तियों और पेंटिंग्स को भी फिर से उनके मूल रूप में लाने में महारत हासिल है । बहुत से सरकारी भवनों में इनकी कला के हस्ताक्षर देखे जा सकते हैं।
सम्मानों के नाम पर इनके पास खज़ाना है और विभिन्न सरकारों द्वारा इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार , शिल्प गुरु पुरस्कार , राजस्थान शिरोमणि पुरस्कार , इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार , राजस्थान गौरव जैसे अनेकों सम्मान मिल चुके हैं ।
बेहद सरल स्वभाव के और सहृदय श्री तिलक जी सही मायने में भारत देश के माथे पर तिलक ही हैं । और निश्चित ही आगे भी वर्षों तक अपने हुनर से इस देश के नाम को ऐसे ही रोशन करते रहेंगे ।
लेकिन कहीं न कहीं इन्हें इस बात का मलाल भी है कि आज भी उनके अपने देश में उनके जैसे कलाकारों को वो सम्मान नहीं दिया जाता जिसके वो वास्तविक हकदार हैं । Padmashree Tilak Geetai कला के बेताज बादशाह – पद्मश्री तिलक गीताई

मैं आज ऐसी हस्ती के बारे में बताने जा रही हूं जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं ।
सरस्वती पुत्र पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त श्री तिलक गीताई जी को कला की दुनिया का जादूगर और बेताज बादशाह कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ।
शिल्प कला , मूर्ति कला , चित्र कला , धातु पर नक्काशी ,कला की हर विधा में इन्हें बेजोड़ महारत हासिल है।
तिलक गीताई जी को कला तो विरासत में ही मिली है ।इनके पिता श्री रामगोपाल जी अग्रवाल बीकानेर महाराजा के उस्ताद कारीगर व राजस्थान कला मंदिर जयपुर के संस्थापक भी थे ,वहीं इनके दादाजी गुलाब चंद्र जी अग्रवाल प्रसिद्ध संगीतकार ,गायक और कत्थक डांसर थे ।
ऐसे परिवार में जन्मे श्री तिलक गीताई जी भला कला से कैसे दूर रह सकते थे । इन्होंने उसी कला को अपनी कल्पना और सृजनात्मकता से और भी ज्यादा निखार दिया है।
बचपन से ही चित्रकारी के शौकीन तिलक गीताई जी ने आर्थिक तंगी को भी अपने शौक पर हावी नहीं होने दिया और कला के क्षेत्र में नये नये आयाम गढ़े।
इनके नाम के साथ जुड़े ‘ गीताई ‘ के पीछे भी एक अनोखी कहानी है । एक छोटे से चावल के दाने पर भगवद्गीता लिखने के कारण लोग इन्हें ‘गीताई ‘ कहने लगे ।
तिलक गीताई जी आगे बताते हैं कि चावल पर कीड़े लग जाते हैं इसलिये उन्होंने हाथी दांत पर चित्रकारी करनी शुरू की और तिल के बराबर के एक हाथी दांत पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी का पोट्रेट बनाकर 1984 में उन्हें भेंट किया ।
भारत के पांच सौ वर्षों के इतिहास में ये अकेले ऐसे चित्रकार हैं जिन्होंने रागों (सुरों )को रंगों और चित्रों के साथ जोड़ा ।इस प्राचीन ‘रागमाला’ चित्रकारी पर अनेकों प्रयोग किये और 36 राग- रागिनियों की श्रृंखला बनायी ‘रागमाला द मिसिंग लिंक’ जो विदेशों में बहुत ही लोकप्रिय हुई है । यह मैलोडी पेंटिंग्स हैं जिसके माध्यम से इन्होंने सिद्ध किया कि चित्रों में से राग निकलते हैं । इनके द्वारा की गयी यह एक ऐसी अनूठी खोज है जो आने वाले अनेकों वर्षों तक भविष्य के चित्रकारों को आकर्षित करती रहेगी।
वहीं दक्षिण भारत की तंजौर पेंटिंग पर भी अपनी शैली में बारीकी से काम कर उसे रियल गोल्ड से एम्बोस किया जिसे आज जयपुर तंजौर के रूप में जाना जाता है । इन्होंने भारत की हर संस्कृति चाहे मुगल हो , राजस्थानी या पहाड़ी, सभी में अपनी कूंची से रंग भरकर उसे और भी खूबसूरत बना दिया।
इनकी कला के कद्रदान हर जगह हैं और इनकी बनायी कृतियों की प्रदर्शिनियां भारत के अलावा जर्मनी , जापान , लंदन , स्विट्जरलैंड और अमेरिका तक में भी लग चुकी हैं । अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भी इनकी कला के मुरीद रहे हैं और भारत दौरे पर इनसे मिले बिना नहीं गये ।
बहत्तर साल की इस उम्र में भी तिलक गीताई जी उसी ऊर्जा और जोश के साथ अपने इस शौक को जीवन्त बनाये हुये हैं ।आज भी वह अपने ही बनाये
रंगों और ब्रश से चित्रकारी करना पसंद करते हैं व अपने दादा और परदादाओं के सहेज कर रखे रीयल गोल्ड , सिल्वर लीफ , मिनरल और हर्ब्स को मिलाकर व कूटकर तरह -तरह के रंग बनाते हैं ।
शिल्प की चालीस वर्षों की इस अनोखी यात्रा में ये देश विदेश के हजारों बच्चों को शिक्षित कर चुके हैं और आज कुछ शोधार्थी इनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर शोध भी कर रहे हैं ।
लॉकडाउन के दौरान इन्होने हिन्दुस्तान की मोनालिसा कही जाने वाली बणी ठणी को भी नये अंदाज में प्रस्तुत किया और कोरोना से बचने का संदेश दिया ।एक पेंटिंग में बणी ठणी को मास्क के साथ दिखाया
तो दूसरी पेंटिंग में वेक्सिन लगवाते हुये दिखाया गया।
तिलक गीताई जी की रंगों की यह यात्रा यहीं खत्म नहीं होती । इन्हें टूटे और बिगड़े हुये पुरानी मूर्तियों और पेंटिंग्स को भी फिर से उनके मूल रूप में लाने में महारत हासिल है । बहुत से सरकारी भवनों में इनकी कला के हस्ताक्षर देखे जा सकते हैं।
सम्मानों के नाम पर इनके पास खज़ाना है और विभिन्न सरकारों द्वारा इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार , शिल्प गुरु पुरस्कार , राजस्थान शिरोमणि पुरस्कार , इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार , राजस्थान गौरव जैसे अनेकों सम्मान मिल चुके हैं ।
बेहद सरल स्वभाव के और सहृदय श्री तिलक जी सही मायने में भारत देश के माथे पर तिलक ही हैं । और निश्चित ही आगे भी वर्षों तक अपने हुनर से इस देश के नाम को ऐसे ही रोशन करते रहेंगे ।
लेकिन कहीं न कहीं इन्हें इस बात का मलाल भी है कि आज भी उनके अपने देश में उनके जैसे कलाकारों को वो सम्मान नहीं दिया जाता जिसके वो वास्तविक हकदार हैं। Padmashree Tilak Geetai कला के बेताज बादशाह – पद्मश्री तिलक गीताई

also read :- Shravan month Shiva Panchakshari Mantra Sadhana श्रावणमास शिव पंचाक्षरी मंत्र साधना

watch video on Facebook:- कला के बेताज बादशाह – पद्मश्री तिलक गीताई

Sports Complex inaugurated at Maharaja Ganga Singh University bikaner by CM महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में ऑडिटोरियम व इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का लोकार्पण

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में ऑडिटोरियम व इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का लोकार्पण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *