Naturopathy Medical College will start from the upcoming session in Ladnun लाडनूं में आगामी सेशन से शुरू हो जाएगा नेचुरोपैथी मेडिकल कॉलेज
लाडनूं में आगामी सेशन से शुरू हो जाएगा नेचुरोपैथी मेडिकल कॉलेज
क्षमापना दिवस पर समारेाह का आयोजन, कुलपति ने बताया संयम और धैर्य का महत्व
क्षमापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ व मंचस्थ अन्य। तथा समारोह में उपस्थित लोग।
लाडनूं। लाडनूं में अगले शैक्षणिक सत्र से नेचुरोपैथी मेडिकल कॉलेज का शुभारम्भ कर दिया जाएगा। यहां एमबीबीएस कोर्स की तर्ज पर डीएनवाईएस कोर्स प्रारम्भ किया जाएगा। इस सम्बंध में बिल्डिंग, केम्पस, अपकरण, फर्निचर आदि समस्त व्यवस्थाओं का काम चल रहा है और शीघ्र पूर्ण होने जा रहा है। यह बात जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने क्षमापना दिवस के अवसर पर आयोजित क्षमापना समारोह में बताई। समारोह में कुलपति प्रो. दूगड़ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में भी मैत्री दिवस की चर्चा हुई है। यह क्षमायाचना ही नहीं बल्कि क्षमा के आदान-प्रदान का दिवस है। इसमें मूल शब्द खम्मत-खामणा है, जिसका अर्थ होता है मैं क्षमा मांगता हूं और क्षमा देता हूं। आज विश्व में दो मूल्य सबसे ज्यादा चर्चित हैं और वे हैं संयम और धैर्य। संयम जैन धर्म से निकाला है। सब प्राणियों के प्रति संयम रखने का मतलब है कि दया, करूणा व अहिंसा के भाव पनपना। धैर्य का इस आपाधापी के समय में बहुत महत्व है। आज जब कोई भी इंतजार नहीं करना चाहता, ऐसे में धैर्य का सिद्धांत व्यक्ति को सही राह दिखाता है। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के समस्त विद्यार्थियों एवं शैक्षणिक व गैरशैक्षणिक कार्मिकों से भी खम्मत-खामणा किया।
अन्तःकरण की निधि है क्षमा
कार्यक्रम में प्रो. नलिन के. शास्त्री ने क्षमापना दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाए जाने एवं पूरे विश्व में अहिंसा का सदेश देे की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि क्षमा सर्वकालिक व सर्वव्यापी है। क्षमा को उत्सव के रूप में मनाया जाना एक विशेष बात है। यह अंतःकरण की निधि है, जिसे विश्वास का विधान ओर सृजनशीलता का संगान कह सकते हैं। यह अहिंसा का रूपान्तरण है। यह मन की विशालता और मजबूती का आगाज है। प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने क्षमावाणी द्वारा जैनधर्म को जनधर्म बनाने का मार्ग प्रशस्त होता है। यह अहंकार छोड़ने का पर्व है। प्रो. बीएल जैन, विताधिकारी आरके जैन, डा. लिपि जैन, अच्युतकुमार जैन, प्रज्ञा राजपुरोहित व तेजस्विनी शर्मा, हर्षिता पारीक ने भी अपने विचार क्षमापर्व पर व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन डा. युवराजसिंह खंगारोत ने किया।