एनडीए सरकार में राजस्थान से 4 सांसदों को मंत्रिमंडल में जगह मिली। इनमें अर्जुनराम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत, भागीरथ चौधरी और भूपेंद्र यादव शामिल हैं।
गजेंद्र सिंह शेखावत: स्टूडेंट राजनीति से सांसद बने, पूर्व सीएम के बेटे को हराकर चर्चा में आए
जोधपुर से लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए गजेंद्र सिंह शेखावत के राजनीति सफर की शुरुआत जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी से हुई थी। कॉलेज के समय वे एबीवीपी में सक्रिय रहे और इसके बाद चुनाव लड़ा। ये चुनाव वे जीत गए और 1992 में यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट बने। इसके बाद शेखावत को भाजपा की किसान शाखा, भाजपा किसान मोर्चा का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया था।
2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पहली बार टिकट दिया था। जोधपुर पूर्व राजघराने की सदस्य चंद्रेशकुमारी को 4.10 लाख वोटों से हराया और चर्चा में आए। 2017 में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री का दायित्व मिला।
शेखावत को फिर से कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वे तीसरी बार सांसद बने।
इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से पार्टी ने भरोसा जताया और दूसरी बार टिकट दिया। इस बार उनके सामने थे पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत। उस समय गहलोत राजस्थान के सीएम थे।
गहलोत के सीएम रहते हुए उन्होंने वैभव को 2.74 लाख वोट से हराया। पहले पूर्व राजघराने की सदस्य और फिर पूर्व सीएम के बेटे को हराकर संगठन का भरोसा जीता। इसी का नतीजा रहा कि मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन मिशन की जिम्मेदारी शेखावत को सौंपी गई और जल शक्ति मंत्री बनाया।
शपथ से पहले रविवार को गजेंद्र सिंह शेखावत के समर्थक दिल्ली स्थित उनके आवास पहुंचे और स्वागत किया।
सरकार गिराने का आरोप लगा, गहलोत ने संजीवनी घोटाले में शेखावत के खिलाफ मोर्चा खोला
शेखावत पहली बार जब सांसद बने तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान जब प्रदेश में संगठन बदलाव को लेकर चर्चा चल रही थी, उस समय शेखावत का नाम सबसे आगे चल रहा था। अचानक से शेखावत के नाम को रिप्लेस किया गया। इसके बाद राजे और उनके बीच अच्छे संबंध नहीं रहे।
इधर, 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद शेखावत पर गहलोत सरकार को गिराने का आरोप लगा। कथित फोन टैप के आधार पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। गहलोत सरकार लगातार इस मुद्दे को लेकर शेखावत की घेराबंदी करती रही।
इस बीच विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत ने फिर संजीवनी घोटाले का मुद्दा उठाया और इसका आरोप शेखावत पर लगाया। गहलोत खुद इस मुद्दे को लेकर लगातार आरोप लगाते रहे और कहा भी 2 लाख परिवारों का पैसा डूब गया। हालांकि इस मामले में जब गहलोत ने शेखावत के परिवार पर आरोप लगाए तो उनकी ओर से मानहानि का केस किया गया।
राजस्थान मूल के वैष्णव भी कैबिनेट मंत्री
राजस्थान मूल के अश्विनी वैष्णव को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। पिछली सरकार में वे रेल मंत्री थे और ओडिशा से राज्यसभा में भेजे गए थे।
वैष्णव का पैतृक गांव पाली जिले के जीवंद कलां में है। पाली जिले के खैरवा गांव में उनका ननिहाल है, जहां उनका जन्म हुआ था। अभी पूरा परिवार उनका जोधपुर रहता है। एमबीएम इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी से उन्होंने एमटेक की पढ़ाई पूरी की थी।
साल 1994 में वे आईएएस बने और 2010 में 16 साल की नौकरी के बाद वीआरएस ले लिया था।