बुध ग्रह कमजोर .या अशुभ हो तो उसको जीवन में क्या परेशानियां आने लगती हैं और उसके उपाय क्या हैं।If mercury is weak or inauspicious, then what problems do it start facing in life and what are its remedies?

बुध ग्रह कमजोर .या अशुभ हो तो उसको जीवन में क्या परेशानियां आने लगती हैं और उसके उपाय क्या हैं।If mercury is weak or inauspicious, then what problems do it start facing in life and what are its remedies?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध ग्रह बुद्धिमत्‍ता, वाणी, सौंदर्य, धन के कारक हैं। इसलिए अगर आपकी जिंदगी में अचानक पैसों की तंगी हो जाए और आप कर्ज के बोझ से दबने लगें तो मान लीजिए कि आपकी जन्मकुंडली में बुध ग्रह कमजोर है उसकी दशा चल रही है।
कमजोर और पीड़ित बुध जातक को दिमागी रूप से कमज़ोर बनाता है। उसे चीज़ों को समझने में दिक्कत होती है। आपको हम आज बताने जा रहे हैं अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर .या अशुभ हो तो उसको जीवन में क्या परेशानियां आने लगती हैं और उसके उपाय क्या हैं।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य और शुक्र, बुध के मित्र ग्रह हैं तथा बुध, चन्द्रमा को अपना शत्रु मानता है. बुध शनि, मँगल व गुरु से सम सम्बन्ध रखता है. बुध मिथुन व कन्या राशि का स्वामी है. बुध कन्या राशि में 15 अंश से 20 अंश के मध्य होने पर अपनी मूलत्रिकोण राशि में होता है. बुध कन्या राशि में 15 अंश पर उच्च स्थान प्राप्त करता है. बुध मीन राशि में होने पर नीच राशि में होता है. बुध को पुरुष व नपुंसक ग्रह माना गया है तथा यह उत्तर दिशा का स्वामी हैं. बुध का शुभ रत्न पन्ना है , बुध तीन नक्षत्रों का स्वामी है अश्लेषा, ज्येष्ठ, और रेवती (नक्षत्र) इसका प्रिय रंग हरे रंग, पीतल धातु,और रत्नों में पन्ना है ।
बुध एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य के सानिध्य में ही रहता है। जब कोई ग्रह सूर्य के साथ होता है तो उसे अस्त माना जाता है। यदि बुध भी 14 डिग्री या उससे कम में सूर्य के साथ हो, तो उसे अस्त माना जाता है। लेकिन सूर्य के साथ रहने पर बुध ग्रह को अस्त का दोष नहीं लगता और अस्त होने से परिणामों में भी बहुत अधिक अंतर नहीं देखा गया है। बुध ग्रह कालपुरुष की कुंडली में तृतीय और छठे भाव का प्रतिनिधित्व करता है। बुध की कुशलता को निखारने के लिए की गयी कोशिश, छठे भाव द्वारा दिखाई देती है। जब-जब बुध का संबंध शुक्र, चंद्रमा और दशम भाव से बनता है और लग्न से दशम भाव का संबंध हो, तो व्यक्ति कला-कौशल को अपने जीवन-यापन का साधन बनाता है। जब-जब तृतीय भाव से बुध, चंद्रमा, शुक्र का संबंध बनता है तो व्यक्ति गायन क्षेत्र में कुशल होता है। अगर यह संबंध दशम और लग्न से भी बने तो इस कला को अपने जीवन का साधन बनाता है। इसी तरह यदि बुध का संबंध शनि केतु से बने और दशम लग्न प्रभावित करे, तो तकनीकी की तरफ व्यक्ति की रुचि बनती है। कितना ऊपर जाता है या कितनी उच्च शिक्षा ग्रहण करता है, इस क्षेत्र में, यह पंचम भाव और दशमेश की स्थिति पर निर्भर करता है। पंचम भाव से शिक्षा का स्तर और दशम भाव और दशमेश से कार्य का स्तर पता लगता है। बुध लेख की कुशलता को भी दर्शाता है। यदि बुध पंचम भाव से संबंधित हो, और यह संबंध लग्नेश, तृतीयेश और दशमेश से बनता है, तो संचार माध्यम से जीविकोपार्जन को दर्शाता है और पत्रकारिता को भी दर्शाता है। मंगल से बुध का संबंध हो और दशम लग्न आदि से संबंध बनता हो और बृहस्पति की दृष्टि या स्थान परिवर्तन द्वारा संबंध बन रहा हो, तो इंसान को वाणिज्य के कार्यों में कुशलता मिलती है।
बुध से प्रभावित जातक हंसमुख, कल्पनाशील, काव्य, संगीत और खेल में रुचि रखने वाले, शिक्षित, लेखन प्रतिभावान, गणितज्ञ, वाणिज्य में पटु और व्यापारी होते हैं। वे बहुत बोलने वाले और अच्छे वक्ता होते हंै। वे हास्य, काव्य और व्यंग्य प्रेमी भी होते हैं। इन्हीं प्रतिभाओं के कारण वे अच्छे सेल्समैन और मार्केटिंग में सफल होते हैं। इसी कारण वे अच्छे अध्यापक और सभी के प्रिय भी होते हैं और सभी से सम्मान पाते हैं। बुध बहुत संुदर हैं। इसलिए उन्हें आकाशीय ग्रहों मंे राजकुमार की उपाधि प्राप्त है। उनका शरीर अति सुंदर और छरहरा है। वह ऊंचे कद गोरे रंग के हैं। उनके सुंदर बाल आकर्षक हैं वह मधुरभाषी हैं। बुध, बुद्धि, वाणी, अभिव्यक्ति, शिक्षा, शिक्षण, गणित, तर्क, यांत्रिकी ज्योतिष, लेखाकार, आयुर्वेदिक ज्ञान, लेखन, प्रकाशन, नृत्य-नाटक, और निजी व्यवसाय का कारक है। बुध मामा और मातृकुल के संबंधियों का भी कारक है।
जिस व्यक्ति की कु्ण्डली में बुध ग्रह की राशि मिथुन या कन्या लग्न भाव में हो, अथवा बुध लग्न भाव में बली अवस्था में हो, या फिर व्यक्ति की जन्म राशि बुध की राशि हो, तो व्यक्ति के व्यक्तित्व पर बुध का प्रभाव होता है. बुध से प्रभावित व्यक्ति सुगठित शरीर वाला, बडा शरीर, मृ्दु भाषा, हंसी मजाक, विनोदी स्वभाव का होता है.

बुध शरीर में पित्त, वायु, बलगम, गुदा, जांघे, त्वचा, नाडी प्रणाली का कारक है. बुध के कमजोर या पिडित होने पर व्यक्ति को दिमाग और बोलने के अंगों में असन्तुलन हो सकता है. बुध दिमागी रोग देता है. मानसिक रोग, नपुंसकता, ज्वर, खुजली, हड्डियों का चटकना, जवर, चक्कर आना, गर्दन में दर्द, बवासीर, अपच, जिगर, पेट, आंन्तों की समस्याएं प्रभावित कर सकती हैं. बुध के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए बुध संबंधित वस्तुओं का दान कर सकते हैं. इनकी दान योग्य वस्तुओं में हाथी दान्त, चीनी, हरा वस्त्र, हरे फूल, मूंग की दाल, कपूर, तारपीन का तेल. बुधवार को सूर्य उदय से पहले दान करना चाहिए.
जन्म कुंडली में बुध यदि स्व राशि में हो या मित्र राशि में हो अथवा उच्च राशि का ,शुभ भावाधिपति, शुभ दृष्ट से युक्त हो तो अच्छे फल देने वाला होता है. बुध की शुभता से जातक को यश की प्राप्ति होती है जातक की वाणी में प्रभाव होता है, बुद्धिमत्ता का गुण विद्यमान होता है. व्यक्ति परीक्षाओं में सफलता ,हास्य-विनोद करने वाला होता है अनेक क्षेत्रों में सफलता ,व्यापार में लाभ ,प्राप्ति होती है. लेखकों,कलाकारों,ज्योतिषियों,शिल्पकारों के बुध का होना अच्छा माना जाता है. परंतु यदि बुध अस्त ,नीच का शत्रु राशि में पाप ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तो निर्बल बनकर विवेक कि कमी ,विद्या में बाधा, दुख एवं तकलीफ का कारण बनता है. कार्यों में बाधा, कलह, त्रिदोष विकार ,बोलने में दिक्कतें तथा वाणी का अशुद्ध होना इत्यादि से कष्ट देता है.

बुध मस्तिष्क, जिह्वा, स्नायु तंत्र, कंठ -ग्रंथि, त्वचा, वाक-शक्ति, गर्दन आदि का प्रतिनिधित्व करता है। यह स्मरण शक्ति के क्षय, सिर दर्द, त्वचा के रोग, दौरे, चेचक, पिŸा, कफ और वायु प्रकृति के रोग, गूंगापन, उन्माद जैसे विभिन्न रोगों का कारक है।

बुध ग्रह की शांति के उपाय :-

  1. छेद वाले तांबे के सिक्के जल में प्रवाहित करें।
    2..घर में तोता, भेड़, वकरी ना पालें.
    3.बुध के दिन फिटकरी से दान्त साफ करें.
    4.ढाक के पत्तो को कच्चे दूध में धोकर वीरान जगह में दबाएं.
    5-गले में चान्दी की चेन पहने.
    6-सटटेबाजी में पैसा ना लगाए.
    7-गाय को हरा चारा खिलाये .
    8:-बुधवार को गरीब लड़कियों को भोजन व हरा कपड़ा दें
    9:- हिजड़े को बुध के दिन चांदी की चूड़ी और हरे रंग की साड़ी का दान करे .
    10:- ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः तथा सामान्य मंत्र बुं बुधाय नमः है।
    बुधवार के दिन हरे रंग के आसन पर बैठकर उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बुध मंत्र का जाप करें,
    11:- माँ दुर्गा की आराधना करे .
    12.बुधवार के दिन घर पर विधि विधान से गणेश जी को स्थापित करें साथ ही उनकी पूजा- अर्चना करें। गणेश जी को मोदक का भोग भी लगाएं। साथ ही अगर संभव हो तो गणेश मंदिर भी जाएं। मंदिर में जाकर गणेश जी की आरती करें और उन्हें फूल अर्पित करें। इसके बाद सच्चे मन से अपनी मुराद मांगे। ऐसा करने से गणेश जी प्रसन्न होंगे और आशीर्वाद देंगे।
    13.आपको हर बुधवार गणेश जी को दुर्वा अर्पित करनी चाहिए। भगवान गणेश जी को दुर्वा अधिक प्रिय है। जो भक्त गणेश जी को दुर्वा अर्पित करता है। उसके सभी काम बनते चले जाते हैं। साथ ही आर्थिक तंगी से भी मुक्ति मिलती है। वहीं अगर आपके कार्यों में बार- बार विघ्न आ जाता है तो भगवान गणेश को दूर्वा जरूर अर्पित करें। ऐसा करने से आपके कार्यों के विघ्न दूर हो जाएंगे।
    14.ज्योतिष अनुसार अगर मेहनत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पा रहा है तो बुधवार के दिन गणेश रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको सभी कामों में सफलता मिलेगी। साथ ही आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा।

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