आयुर्वेदिक केवल चिकित्सा पद्धति ही नहीं बल्कि जीवन-शैली भी है- डॉ. मनीषा चैधरी
‘हर दिन आयुर्वेद हर जगह आयुर्वेद’ थीम पर आयुर्वेद जागरूकता पर व्याख्यान
फोटो सं. 3: केप्शन: लाडनूं में आयुर्वेद जागरूकता अभियान में सम्बोधित करते हुए आयुष चिकित्सक डा. मनीषा चैधरी व उपस्थित छात्राएं।
लाडनूं। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के मार्गदर्शन में जैनविश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय में ‘हर दिन आयुर्वेद हर जगह आयुर्वेद’ थीम पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में लाडनूं की आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनीषा चैधरी ने इस आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को भारत की ओर से विश्व को महान देन बताई और उन्होंने एलोपैथिक तथा आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का तुलनात्मक विश्लेषण करते हुए आयुर्वेद पद्धति की अच्छाइयों को इंगित किया। उन्होंने रोगमुक्ति और स्वास्थ्यलाभ के लिए आयुर्वेद को सबसे श्रेष्ठ बताते हुए जन-जन के लिए आयुर्वेद अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। डा. मनीषा ने आयुर्वेद के तीन तत्वों वात, कफ और पित्त पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि इनसे मानव स्वभाव एवं प्रकृति का निर्धारण होता है। हमें निरोग रहने के लिए इन तीनों के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है, इसलिए आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति ही नहीं बल्कि आयुर्वेद जीवन पद्धति को अपनाया जाना जरूरी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि भारत सरकार के आयुष पद्धति को जन-जन की पद्धति बनाने के जो अभियानों संचालित किए जा रहे हैं, उनकीे सफलता के लिए हम सबको सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए। इसके लिए समाज तक इसका संदेश पहुंचाना सबका दायित्व बनता है।
छात्राओं ने कहा कि जीवन में अपनाएंगी आयुर्वेद
‘हर दिन आयुर्वेद हर जगह आयुर्वेद’ थीम को आधार मानकर जागरूकता बढ़ाने के लिए संचालित कार्यक्रमों को लेकर छात्राओं ने भी अपने अनुभव शेयर किए। छात्रा तनिष्का शर्मा ने बताया कि कार्यक्रमों के माध्यम से आयुर्वेद के महत्व के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। प्रियंका सोनी ने प्रभावित होकर आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को अपने जीवन में अंगीकार करने की बात कही। छात्रा खुशी जोधा ने कहा कि इस कार्यक्रम से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ आयुर्वेद को जीवन में अपनाए जाने की प्रेरणा मिली है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया और कहा कि आयुर्वेद जीवन का आधार है और बदलती हुई परिस्थितियों में हमें आयुर्वेद को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने छात्राओं को प्रेरित किया कि अपने मानसिक स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए और अपने खानपान में हम बदलाव करते हुए आयुर्वेदिक चीजों का उपयोग बढा कर स्वस्थता की ओर बढना चाहिए। कार्यक्रम-प्रभारी डॉ. बलबीर सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया। अंत में प्रभारी डॉ.मनीष भटनागर ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में छात्राएं उपस्थित रहीं।
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