After all, why did sage Bhrigu kick Lord Vishnu on the chest, what was the reason?

आखिर क्यों मारी भृगु ऋषि ने भगवान विष्णु की छाती पर लात,क्या था कारण?

जय श्री नारायण

एक बार सभी ऋषि-मुनियों ने हवन करने का सोचा और यह सोचा कि हवन तो हम करेंगे लेकिन इसका फल हम किस भगवान को दें

उन्होंने नारद मुनि के कहने पर कि कौन से भगवान सबसे ज्यादा श्रेष्ठ है यह जानने के लिए ऋषि भगु को यह काम सौंपा कि वह बताएं कि कौन से भगवान सबसे ज्यादा श्रेष्ठ है

तो जैसा कि सबसे पहले भृगु ऋषि ब्रह्मा जी के पास गया ओ ब्रह्मा जी के पास जाते हैं उन्होंने उन्हें शब्द दिया कि आज के बाद आप की धरती पर कोई पूजा नहीं करेगा

इस पर ब्रह्मा जी काफी क्रोधित हुआ और उन्होंने श्राप देने का निश्चय किया वह श्राप देने वाले ही थे की भृगु ऋषि उनसे कहा कि वह तो उनका सिर्फ परीक्षा ले रहे थे कि क्या उन्हें सच में क्रोध आता है या नहीं और वह उनकी कसौटी पर खरे नहीं उतरे।

इसके बाद वह कैलाश गए जहां शिव जी पार्वती जी से बातचीत कर रहे थे उन्होंने ऐसे ही शिव जी को भी कह दिया क्या आपकी धरती पर सिर्फ शिवलिंग के रूप में पूजा की जाएगी इस पर शिवजी काफी क्रोधित हुए और उन्हें मृत्यु दंड देने केलिए आगे बढ़े माता पार्वती ने आके उनकी रक्षा की

और उसने प्राणों की गुहार लगाई उन्होंने बताया है कि इसमें कोई गलती नहीं है वह सिर्फ श्रेष्ठ भगवान के बारे में जानने के लिए यहां आए हैं

उसके बाद महर्षि भृगु विष्णु जी के पास गए क्षीरसागर में जहां वह लक्ष्मी जी के साथ विराजमान है वहां जाकर उनको लगा कि विष्णु जी सो रहे हैं और उन्होंने उनको आते हुए देख लिया है महर्षि भृगु ने विष्णु जी की छाती पर लात मार दी

जिसके कारण विष्णु जी ने उनका पैर पकड़ लिया और पूछा कि महर्षि आपके पांव तो काफी कोमल है और मेरा शरीर बहुत ही कठोर आपके पांव में चोट तो नहीं लगी इस पर महर्षि विष्णु जी से कहा कि आप ही सर्वश्रेष्ठ भगवान हैं और वह वापस धरती पर लौट आए।

!! जय श्री नारायण!!
साक्षात् श्री नारायण हैं , श्री चक्र सुदर्शनधारी
स्वयं द्वारिकाधीश प्रभु हैं , गोविंद कृष्णमुरारी

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