shri-shail-mallikaarjun-jyotirling-

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कथा। Story of Mallikarjuna Jyotirlinga.



कथा के अनुसार भगवान शंकर के दोनों पुत्रों में आपस में इस बात पर विवाद उत्पन्न हो गया कि पहले किसका विवाह होगा. जब श्री गणेश और श्री कार्तिकेय जब विवाद में किसी हल पर नहीं पहुंच पायें तो दोनों अपना- अपना मत लेकर भगवान शंकर और माता पार्वती के पास गए।

अपने दोनों पुत्रों को इस प्रकार लडता देख, पहले माता-पिता ने दोनों को समझाने की कोशिश की. परन्तु जब वे किसी भी प्रकार से गणेश और कार्तिकेयन को समझाने में सफल नहीं हुए, तो उन्होने दोनों के समान एक शर्त रखी।

दोनों से कहा कि आप दोनों में से जो भी पृथ्वी का पूरा चक्कर सबसे पहले लगाने में सफल रहेगा. उसी का सबसे पहले विवाह कर दिया जायेगा.

विवाह की यह शर्त सुनकर दोनों को बहुत प्रसन्नता हुई. कार्तिकेयन का वाहन क्योकि मयूर है, इसलिए वे तो शीघ्र ही अपने वाहन पर सवार होकर इस कार्य को पूरा करने के लिए चल दिए।

परन्तु समस्या श्री गणेश के सामने आईं, उनका वाहन मूषक है., और मूषक मन्द गति जीव है. अपने वाहन की गति का विचार आते ही श्री गणेश समझ गये कि वे इस प्रतियोगिता में इस वाहन से नहीं जीत सकते।

श्री गणेश है. चतुर बुद्धि, तभी तो उन्हें बुद्धि का देव स्थान प्राप्त है, बस उन्होने क्या किया, उन्होनें प्रतियोगिता जीतने का एक मध्य मार्ग निकाला और, शास्त्रों का अनुशरण करते हुए, अपने माता-पिता की प्रदक्षिणा करनी प्रारम्भ कर दी।

शास्त्रों के अनुसार माता-पिता भी पृथ्वी के समान होते है. माता-पिता उनकी बुद्धि की चतुरता को समझ गये़. और उन्होने भी श्री गणेश को कामना पूरी होने का आशिर्वाद दे दिया।

शर्त के अनुसार श्री गणेश का विवाह सिद्धि और रिद्धि दोनों कन्याओं से कर दिया गया।

पृथ्वी की प्रदक्षिणा कर जब कार्तिकेयन वापस लौटे तो उन्होने देखा कि श्री गणेश का विवाह तो हो चुका है. और वे शर्त हार गये है. श्री गणेश की बुद्धिमानी से कार्तिकेयन नाराज होकर श्री शैल पर्वत पर चले गये श्री शैल पर माता पार्वती पुत्र कार्तिकेयन को समझाने के लिए गई।

और भगवान शंकर भी यहां ज्योतिर्लिंग के रुप में अपनी पुत्र से आग्रह करने के लिए पहुंच गयें. उसी समय से श्री शैल पर्वत पर मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग की स्थापना हुई, और इस पर्वत पर शिव का पूजन करना पुन्यकारी हो गया।

श्री मल्लिकार्जुन मंदिर निर्माण कथा इस पौराणिक कथा के अलावा भी श्री मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग के संबन्ध में एक किवदंती भी प्रसिद्ध है. किवदंती के अनुसार एक समय की बात है, श्री शैल पर्वत के निकट एक राजा था. जिसकानाम चन्द्रगुप्त था. उस राजा की एक कन्या थी।

वह कन्या अपनी किसी मनोकामना की पूर्ति हेतू महलों को छोडकर श्री शैलपर्वत पर स्थित एक आश्रम में रह रही थी. उस कन्या के पास एक सुन्दर गाय थी. प्रतिरात्री जब कन्या सो जाती थी. तो उसकी गाय का दूध को दुह कर ले जाता था।

एक रात्रि कन्या सोई नहीं और जागकर चोर को पकडने का प्रयास करने लगी. रात्रि हुई चोर आया, कन्या चोर को पकडने के लिए उसके पीछे भागी परन्तु कुछ दूरी पर जाने पर उसेकेवल वहा शिवलिंग ही मिला. कन्या ने उसी समय उस शिवलिंग पर श्री मल्लिकार्जुन मंदिर का निर्माण कार्य कराया।

प्रत्येक वर्ष यहां शिवरात्रि के अवसर पर एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. वही स्थान आज श्री मल्लिकाअर्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध है।

See and like on FB Blood donation camp organized by Ginor Devi Charitable Trust

Free scooty to specially abled of college goers (samacharsandesh.co.in)

Benefits of Belpatra and Mantra बेलपत्र मंत्र

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *