मीरा के गिरधर गोपाल की मूर्ति को मुगलों से बचाकर आमेर लाए थे मान सिंह
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जितेन्द्र सिंह शेखावत
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जयपुर की पुरानी राजधानी आमेर में देश का ऐसा विलक्षण जगत शिरोमणी मंदिर है जहां पर गिरधर गोपाल के साथ भक्त शिरोमणी मीरा की पूजा होती है।
आमेर नरेश मानसिंह प्रथम की रानी कनकावती ने पुत्र जगत सिंह की स्मृति में दक्षिण भारतीय शैली के इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
इस मंदिर में गिरधर गोपाल की वह मूर्ति है जिसे मुगल सेनापति मानसिंह प्रथम मुगलों से बचाकर चित्तौड़ के महल से लाए थे। पहले यह मूर्ति आमेर के पुराने राजमहल के नृसिंह मंदिर में विराजमान की गई थी। आमेर निवासी अक्षय कुमार पारीक ने बताया कि गिरधर गोपाल उर्फ लालजी को जलझूलनी ग्यारस पर नगर भ्रमण कराने के साथ मावठा सरोवर में स्नान कराया जाता था। आमेर के राजाओं ने गिरधर गोपाल का मीरा के संग का विवाह भी कराया था। जयपुर बसने के बाद तीज व गणगौर पर मीरा को गिरधर गोपाल के संग रथ में बैठाकर कर जयपुर में लाया जाता
संस्कृत विद्वान डा. सुभाष शर्मा ने जयपुर के धार्मिक इतिहास में लिखा है कि
स्थापत्य कला की राजस्थान के श्रेष्ठ मदिरों में गिना जाने वाले मंदिर के गर्भ गृह में संगमरमर की बनी भगवान विष्णु की मूर्ति के थोड़ा आगे गिरधर गोपाल के संग मीराजी विराजमान है।
पन्द्रह फीट ऊंचे प्लेट फार्म बने मंदिर निर्माण में नौ साल लगे थे। पीले, सफेद और काले संगमरमर में से बने इस मंदिर में पौराणिक कथाओं के आधार पर चित्रांकन का शिल्प देखने योग्य है । गरुड़ की मूर्ति मंदिर की शोभा में चार चांद लगाती है।
इसके निर्माण 9 लाख 72 हजार रुपए खर्च हुए थे । इजाजत बिना मंदिर बनाने पर अकबर नाराज भी हुआ था। अकबर की यात्रा के समय मंदिर को चुने से ढकवा दिया गया था ) सन 1943 में मिर्ज़ा इस्माइल ने यह प्लास्टर हटवाया था।
